हजारीबाग. जिले के कई थाना क्षेत्रों में अवैध कोयला तस्करी का जाल बड़ी चतुराई से बुना गया है. जहां गरीब परिवार रोजी-रोटी की तलाश में जानलेवा खदानों में फंस रहे हैं. 21 मई की शाम से केरेडारी के कंडाबेर गांव में मातम का माहौल है. गांव के तीन परिवारों के तीन सदस्य पिछले 40 घंटे से अवैध कोयला खदान में फंसे हुए हैं. पीड़ित परिवारों के घरों में पड़ोस के लोग पहुंचकर आश्वासन दे रहे हैं. परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल है. अवैध कोयला खदान में फंसे नौशाद के घर में उसकी पत्नी के अलावा तीन बेटे और एक बेटी है. वहीं प्रमोद साव के दो पुत्र हैं. उमेश साव का एक पुत्र है. इस आपदा के बाद परिवारवालों का हाल बेहाल है.
अवैध कोयला खदान की तस्करी की जड़ें गहरी
जिले में पिछले कई महीनों से अवैध कोयले की तस्करी जोरों पर है. इस काले व्यवसाय में धंधेबाज के साथ-साथ सफेदपोश अधिकारी, पुलिसकर्मी का मजबूत गठजोड़ है. यह गठजोड़ बेखौफ होकर सरकारी संपत्ति लूटने में लगे हुए हैं. यह गठजोड़ लोगों के जीवन पर भारी पड़ रहा है. पिछले तीन-चार महीने में जानकारी के अनुसार प्रत्येक दिन सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन से कोयले की तस्करी की जाती है. अवैध खनन के लिए तस्कर आसपास के मजदूरों को लगाते हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर खनन करनेवाले मजदूरों ने बताया कि एक किलो कोयला काटने पर हमलोगों को एक रुपया मिलता है. यह कोयला साइकिल और मोटरसाइकिल से खनन स्थल से चार किलोमीटर दूर अस्थायी कोयला डिपो में जमा किया जाता है. इसके बाद तस्कर ट्रक के माध्यम से कोयले को बाहर की मंडियों में भेजते हैं.
कोयला तौलने के लिए डिजिटल कांटा का उपयोग
कोयला तौलने के लिए तस्कर जुगाड़ पद्धति का पालन करते हैं. घने जंगल में ही कोयला का कांटा किया जाता है. इसके लिए अवैध कोयला डिपो में कोयला वजन के लिए तस्कर सब्जी वजन करनेवाले डिजिटल कांटा का उपयोग करते हैं. इसके बाद कोयले को ट्रकों में लोड कर बाहर की मंडियों में भेजा जाता है. यह काम शाम ढलते ही शुरू हो जाता है.
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