अमृत ऐसे वचन में, रहिमन रिस की गांस!
जैसे मिसिरिहु में मिली, निरस बांस की फांस!!
अर्थात
ज्ञानी संत- महात्माओं की अमर वाणी में कभी-कभी उनके क्रोध से उपजे शब्द भी ठंडक पहुंचाते हैं, जैसे मीठी मिसरी में घुली-मिली बांस की नीरस फांस भी मधुर लगती है.
अमृत ऐसे वचन में, रहिमन रिस की गांस!
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