सतीश शर्मा
तोरपा (खूंटी)
Amreshwar Dham: झारखंड के खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड में स्थित बाबा आमेश्वर धाम को लोग श्रद्धा से “झारखंड का मिनी बाबाधाम” कहते हैं। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शिवभक्तों की अपार आस्था और भक्ति का प्रतीक है। यहां स्थित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है और सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु यहां जलाभिषेक के लिए उमड़ पड़ते हैं.
यह मंदिर परिसर न केवल शिवलिंग तक सीमित है, बल्कि यहां भगवान गणेश, माता पार्वती, भगवान राम, श्रीकृष्ण, हनुमान जी, मां दुर्गा, मां काली और शनिदेव के भी मंदिर स्थित हैं। पूरे परिसर में एक आध्यात्मिक और भक्तिमय वातावरण व्याप्त रहता है.
कैसे मिली इस धाम को पहचान?
कहा जाता है कि पहले यह स्वयंभू शिवलिंग अंगराबाड़ी क्षेत्र की घनी झाड़ियों के बीच एक आम के पेड़ के नीचे स्थित था। 1979 में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी इस स्थान से गुजरे और उन्होंने यहां रुककर पूजा की। उन्होंने ही इसे “बाबा आमेश्वर धाम” का नाम दिया, जिससे इस पवित्र स्थल को नई पहचान मिली.
बाद में 1988-89 में एक प्राकृतिक घटना के कारण वह पुराना आम का वृक्ष नष्ट हो गया और उसकी जगह एक विशाल बरगद का पेड़ उग आया, जो आज भी यहां की पहचान बना हुआ है.
चमत्कारी संकेत और स्थापना की कथा
1960 के दशक में एक यात्री बस के मालिक आर. साहू को अक्सर इस स्थान पर बस खराब होने की समस्या होती थी। एक बार वे यहीं रुके और उन्हें स्वप्न में झाड़ियों के बीच शिवलिंग का संकेत मिला। उन्होंने सफाई करवाई और तभी से यह स्थान एक धार्मिक केंद्र बन गया.
बाबा आमेश्वर धाम प्रबंध समिति पिछले 52 वर्षों से इस धाम की देखरेख कर रही है। इसका पंजीकरण झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास परिषद के अंतर्गत है और यहां वर्षभर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं.
सावन में श्रद्धालुओं का सैलाब
सावन के पावन महीने में यहां विशाल मेले जैसा माहौल होता है। झारखंड के अलग-अलग जिलों से ही नहीं, बल्कि बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा आमेश्वर के दर्शन और जलाभिषेक के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां जल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
कैसे पहुंचे बाबा आमेश्वर धाम?
बाबा आमेश्वर धाम, खूंटी जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर और रांची से लगभग 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. हालांकि, पेलोल नदी पर पुल टूट जाने के कारण यहां आने के लिए वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना होता है. रांची से आने वाले श्रद्धालु तुबलडाना रिंग रोड से होते हुए डाहू सौदा, कुरदाग और अंगराबाड़ी होते हुए बाबा धाम पहुंच सकते हैं. यह स्थान न केवल भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है, बल्कि यहां की शांत और प्राकृतिक सुंदरता भी श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति प्रदान करती है.