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Budget 2020 का विश्लेषण : सुधार के लिए दूरगामी सोच

अरविंद मोहन अर्थशास्त्री बजट में अर्थव्यवस्था और समाज के हर हिस्से के लिए कमोबेश ठोस प्रावधान हैं. हालांकि कुछ अपेक्षित सुधारों के न होने से भले ही स्टॉक मार्केट में थोड़ी निराशा है, किंतु प्रमुख लक्ष्य अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने के लिए ऐसे उपाय करना है, जिनसे विकास दर की बढ़त लंबे समय तक बरकरार […]

अरविंद मोहन
अर्थशास्त्री
बजट में अर्थव्यवस्था और समाज के हर हिस्से के लिए कमोबेश ठोस प्रावधान हैं. हालांकि कुछ अपेक्षित सुधारों के न होने से भले ही स्टॉक मार्केट में थोड़ी निराशा है, किंतु प्रमुख लक्ष्य अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने के लिए ऐसे उपाय करना है, जिनसे विकास दर की बढ़त लंबे समय तक बरकरार रहे…
मोटे तौर पर देखें, तो यह बजट नये सुधार के संकेत करता है. विशेष रूप से कृषि पर फोकस किया गया है. सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए नयी योजनाएं प्रस्तुत की है. वित्तमंत्री ने 16 एक्शन प्वॉइंट की बात की है. इनमें प्रदेशों से अपेक्षा है कि वे योजनाओं को लागू करें. मुख्य रूप से लैंड लीजिंग एक्ट, अनुबंध आधारित खेती और पशुधन बाजार है. ये वह क्षेत्र हैं, जहां हम कृषि को इंडस्ट्री के समकक्ष लाने की कोशिश कर रहे हैं. उसको मुक्त करने की कोशिश कर रहे हैं.
हर साल दो लाख करोड़ का खाद्यान्न सड़ रहा है. लॉजिस्टिक वेयर हाउसिंग और कोल्ड चेन पर फोकस किया जा रहा है, यह पहली बार इतने बड़े पैमाने पर दिखायी दे रहा है. हालांकि, इसमें व्यवस्थागत सुधार के लिए सार्वजनिक-निजी क्षेत्र की भागदारी के आधार पर काम किया जायेगा. स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार की कोशिश की गयी है. आयुष्मान भारत के तहत 20 हजार अस्पतालों को चिह्नित किया गया है.
हालांकि, देश की जरूरत के अनुसार यह कम है. छोटे शहरों में अभी काफी काम करना होगा. इसके लिए पीपीपी मॉडल को अपनाया जायेगा.
पोषण को बढ़ावा देने को कोशिश की गयी है. सरकार ने इसके लिए 53 हजार करोड़ व्यवस्था की है. साल 2025 तक टीबी के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है. ओडीएफ का प्रयोग सफल रहा है. पाइप वाटर सप्लाई मिशन के लिए 3,20,000 करोड़ की योजना बनायी गयी है. इसमें शुरुआत में 11,500 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. पहले चरण में बड़े शहरों में पूरी तरह से पाइप वाटर उपलब्ध कराया जायेगा. इसके अलावा उच्च शिक्षा के स्तर पर सुधार की पहल की गयी. नयी शिक्षा को लागू करने की घोषणा की गयी है.
एजुकेशन सेक्टर में निवेश के लिए सरकार नये सिरे से योजना बना रही है. 150 उच्च शिक्षण संस्थानों में अप्रेंटिसशिप आधारित कोर्सेज लाने की बात की जा रही है. उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए विदेशों में बड़ी संख्या में मानव संसाधनों की मांग है. भारत उस कमी को पूरा कर सकता है. स्किल ट्रेनिंग से बड़ी संख्या में कुशल पेशेवर तैयार किये जा सकेंगे. मार्केट डिमांड आधारित प्रशिक्षण की व्यवस्था पर फोकस किया जा रहा है, इसलिए ब्रिज कोर्सेज की बात की जा रही है. स्किल डेवलपमेंट के लिए सरकार ने 3,000 करोड़ आवंटित किया है.
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पहली बार इतने बड़े स्तर पर पहल की गयी है. 21 सदी में नॉलेज विकास को गति को तय करेगा. नॉलेज को यहां फोकस करने की कोशिश है. उसके लिए इनोवेशन और स्टार्टअप पर ध्यान दिया जायेगा. सबसे ज्यादा युवाओं वाले देश के तौर पर हमें भविष्य को ध्यान में रखकर काम करना होगा. इस बजट में सुधार की कोशिश की गयी है.
कृषि जैसे क्षेत्रों में अगर में गति दे पाये, तो निश्चित है भविष्य को जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो पायेंगे. सर्विस सेक्टर और स्टार्टअप के लिए बाजार चाहिए. सदी के पहले दशक में आर्थिक विकास दर 7.2 प्रतिशत रही, लेकिन कृषि की वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत रही. इस तरह पिछड़े हुए क्षेत्रों के उभारने से रोजगार पैदा होंगे. साल 2006 के बाद इंडस्ट्री के सामने भी कई तरह की चुनौतियां हैं.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मानव संसाधन में सुधार करना होगा. ये दो ऐसे इंजन हैं, जो पूरी अर्थव्यवस्था को आगे ले जा सकते हैं. आज की तारीख में अर्थव्यवस्था के लिए स्पेस नहीं हैं. अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बजट में दूरगामी सोच दिखी है. आम आदमी के नजरिये से देखें, तो सबसे जरूरत है कि मंदी खत्म हो, ज्यादा रोजगार सृजित हों, आम आदमी को ज्यादा मौके मिलें. इस संदर्भ में देखें, तो बजट एक साल का नहीं हैं, बल्कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करता हुए दिखता है. बेरोजगारी की समस्या एक दिन में हल नहीं होगी, हम पिछले सालों में जॉबलेस ग्रोथ देखे हैं, यानी हमारी अर्थव्यवस्था बड़े उद्योगों के विकास पर निर्भर रही है. छोटे उद्योगों और कृषि आदि क्षेत्रों के विकास से रोजगार की समस्या का हल निकाला जा सकता है. कुल मिलाकर बजट की दिशा सही है और भविष्य में इसके अच्छे परिणाम दिखेंगे.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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