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राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के लिए सरकार प्रतिबद्ध: जयंत सिन्‍हा

पुणे : वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने राजकोषीय मजबूती के लिये सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि आंकड़ों की गुणवत्ता महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने संकेत दिया कि इसके लिए खर्चों में भारी कटौती नहीं की जायेगी. उन्होंने यहां बैंकरों के दो दिन के सम्मेलन ‘ज्ञान संगम’ के मौके पर संवाददाताओ से कहा ‘हमें अपने […]

पुणे : वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने राजकोषीय मजबूती के लिये सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि आंकड़ों की गुणवत्ता महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने संकेत दिया कि इसके लिए खर्चों में भारी कटौती नहीं की जायेगी.
उन्होंने यहां बैंकरों के दो दिन के सम्मेलन ‘ज्ञान संगम’ के मौके पर संवाददाताओ से कहा ‘हमें अपने राजकोषीय लक्ष्य और राजकोषीय मजबूती हासिल करने के लिये अपनाये जाने वाले रास्ते पर भरोसा है. उन्‍होंने कहा राजकोषीय घाटे के सिर्फ आंकडे नहीं बल्कि इन आंकड़ों की गुणवत्ता ज्यादा महत्वपूर्ण है. हम इसी दिशा में प्रयास कर रहे हैं.’
वित्त राज्यमंत्री की यह टिप्पणी राजकोषीय घाटे का आंकड़ा आने के कुछ ही दिन के भीतर सामने आयी है. आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा वर्ष के शुरुआती आठ महीनों में ही पूरे वित्त वर्ष के लिये अनुमानित घाटे के 99 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
सिन्हा ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य हासिल करने के लिए पिछली संप्रग सरकार द्वारा खर्चों में भारी-भरकम कटौती के उपायों को सिरे से खारिज करते हुये संकेत दिया कि मौजूदा सरकार यह रास्ता नहीं अपनाएगी.सिन्हा ने कहा आंकड़े हमेशा प्राप्त किये जा सकते हैं और कई तरीके और उपायों के जरिये इन्हें पहले भी हासिल किया गया है, लेकिन मैं समझता हूं कि हममें से कोई भी उससे संतुष्ठ नहीं होगा.’
यह पूछे पर कि क्या इसका अर्थ यह है कि सरकार खर्चों में कटौती नहीं करेगी, सिन्हा ने कहा – हमें देखना होगा. हम इसे सही तरीके से करेंगे. ‘हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम जो वृद्धि प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं उसके सामने कोई विपरीत परिस्थिति नहीं आए’. सिन्हा ने कहा कि सरकार वृद्धि दर को बढ़ाकर 7 से 8 प्रतिशत करने का प्रयास कर रही है और वह चाहती है कि इसे इस तरह प्राप्त किया जाए कि पर्यावरण पर भी बुरा असर नहीं पड़े और मुद्रास्फीति भी नहीं बढे.
उन्होंने कहा ‘मजबूत आर्थिक प्रबंधन के साथ हमें यह सुनिश्चित करना है कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिले जो इसे सात से आठ प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर के मार्ग पर लाने के लिए आवश्यक है. यह पर्यावरण तथा अन्य लिहाज से वहनीय होगा और इससे मुद्रास्फीति भी नहीं बढ़ेगी’.
जयंत सिन्‍हा ने हालांकि यह नहीं बताया कि सरकार खर्चों में कटौती किये बिना 4.1 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करेगी. उल्लेखनीय है कि सबकी निगाहें फरवरी में होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी और विनिवेश प्रक्रिया के जरिए जुटाई जाने वाली राशि पर टिकी हैं.

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