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हम सहारा की मदद को तैयार, भुगतान में चूक के डर से पीछे हट रहा है सहारा : मिराक

न्यूयार्क : सहारा समूह पर पलटवार करते हुए अमेरिका के मिराक कैपिटल ने फर्जीवाड़ा करने आरोपों को आज खारिज किया और सहारा पर भुगतान में चूक की आशंका से 2 अरब डालर की ऋण व्यवस्था से पिंड छुडाने का आरोप लगाया. मिराक ने पहले के इन दावों पर टिप्पणी करने से इनकार किया कि उसके […]

न्यूयार्क : सहारा समूह पर पलटवार करते हुए अमेरिका के मिराक कैपिटल ने फर्जीवाड़ा करने आरोपों को आज खारिज किया और सहारा पर भुगतान में चूक की आशंका से 2 अरब डालर की ऋण व्यवस्था से पिंड छुडाने का आरोप लगाया.
मिराक ने पहले के इन दावों पर टिप्पणी करने से इनकार किया कि उसके द्वारा सौदे के लिए जिस बैंक से बातचीत की गई थी, वह बैंक ऑफ अमेरिका था. हालांकि, मिराक ने अमेरिका और ब्रिटेन में सहारा के तीन आलीशान होटलों को खरीदने की पेशकश की.
एक बयान में मिराक के सीईओ सारांश शर्मा ने बैंक आफ अमेरिका के एक पत्र के मुद्दे को स्पष्ट किया जिसे उसने सहारा के लिए एक एसक्रो खाते में धन की गारंटी के तौर पर पेश किया था, जिसे उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, लेकिन बाद में इसे ‘फर्जी’ पाया गया.
उन्होंने सहारा की संपत्तियों की बिक्री के सौदे को बार-बार कम आंकने का सहारा पर आरोप लगाते हुए कहा कि समूह ने उसके निवेशकों और सेबी तथा अदालतों का समय ‘बर्बाद’ किया.
शर्मा ने कहा, सहारा द्वारा दिए गए हालिया बयान के मद्देनजर हम पारदर्शिता लाने और स्थिति को व्यापक ढंग से सामने रखने के प्रयास के तहत निम्नलिखित विवरण पेश करना चाहेंगे. मिराक को इस सौदे को पूरा करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. चाहे जो भी हो, हम इन संपत्तियों को खरीदने के लिए तैयार हैं. जमानत के लिए अदालत की शर्त्त के बावजूद सहारा हमेशा से ही इन संपत्तियों की बिक्री करने की अनिच्छुक रही है. वे बार-बार सौदे को कम आंकते रहे हैं और इस तरह से हमारे निवेशक, सेबी और माननीय उच्चतम न्यायालय का समय बर्बाद करते रहे हैं.
सहारा द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप सौदे के ढांचे को अस्थिर करने की एक सीधी मंशा है. यह सौदा यदि हो गया होता तो मुनाफे की अच्छी दर के कारण मिराक और उसके निवेशकों को फायदा पहुंचाता.
बैंक ऑफ अमेरिका से दो अरब डालर का ऋण प्राप्त करने संबंधी फर्जी पत्र के मामले से प्रभावित संकटग्रस्त सहारा समूह ने कल कहा था कि अमेरिकी कंपनी मिराक कैपिटल ने उसके साथ धोखा किया है और वह इस कंपनी और इसके अधिकारियों के खिलाफ हर तरह की उपयुक्त कानूनी कार्रवाई करेगी.
सहारा के इस बयान पर शर्मा ने कहा, शुरुआत में मिराक कैपिटल समूह ने व्यवस्थित ऋण पैकेज प्रदान करने के लिए सहारा के साथ सौदा किया था जिसमें बैंक आफ चाइना से विदेशी परिसंपत्ति से जुडे ऋण का अधिग्रहण और भारतीय परिसंपत्तियों की बिक्री शामिल है. उन्होंने कहा मिराक की परिसंपत्तियों की बिक्री में रुचि रही है और सहारा सिर्फ ऋण व्यवस्था के तहत तय विशिष्टिता के प्रावधानों पर ही सहमत था. उन्होंने कहा, ऋण के ब्याज भुगतान में अपनी असमर्थता और इस तरह चूक के जरिए सस्ते में अपनी परिसंपत्ति हाथ से जाने के भय से सहारा समूह के सदस्यों ने विशिष्टता समझौते का उल्लंघन किया.
शर्मा ने कहा, हमें पता चला कि इसके बाद सहारा समूह के प्रतिनिधियों ने मिराक सिंडिकेट के सदस्यों से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि मिराक ने सहारा को अनुबंध तोडने के संबंध में कई नोटिस भेजा. इसके बाद सहारा ने मिराक के खिलाफ मोर्चा खोलना शुरु किया और मिराक की प्रतिष्ठा धूमिल करने की कोशिश की.
उन्होंने कहा, सहारा द्वारा मिराक पर लगाया गया धोखाधडी संबंधी कोई भी दावा गलत है और पूरी कोशिश सुब्रत राय को बचाने की है. शर्मा ने कहा, मिराक की वित्तीय क्षमता की जांच इससे पहले सीधे तौर पर सहारा के वकीलों ने की थी और आंकडों की सामान्य जांच से ही स्पष्ट हो जाएगा कि कोई भी दस्तावेज फर्जी नहीं है. पिछले महीने उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि मिराक, बैंक आफ अमेरिका के एक खाते में जमा धन के जरिए यह सौदा किया जाएगा फिर बैंक द्वारा इस धन को सहारा की दो इकाइयों के खातों में हस्तांतरित किया जाएगा.
शर्मा ने कहा, परिसंपत्ति बिक्री के संबंध में भारत के उच्चतम न्यायालय से समर्थन के साथ सहारा समझौते के संबंध में मिराक अपने निवेशकों की पहचान का खुलासा करने के लिए तैयार है जिन्होंने इस सौदे के लिए उल्लेखनीय राशि अलग की. उन्होंने कहा, राय की सार्वजनिक छवि और कानूनी दिक्कतों के मद्देनजर कई वित्तीय संस्थान, कानूनी सलाहकार और निवेशक इस सौदे के लिए लगातार इनकार करते रहे. उन्होंने कहा कि मिराक ने भी इस सौदे से जुडे जोखिम की पहचान की लेकिन इसके बावजूद वह प्रस्तवित ढांचे के केंद्र में स्थित इस परिसंपत्ति को बचाने के लिए प्रतिबद्ध था.
उन्होंने कहा, अनुबंध तोडने के मद्देनजर मिराक अब ऋण व्यवस्था की पेशकश के बारे में विचार नहीं कर रहा है हालांकि वह इन परिसंपत्तियों के अधिग्रहण की सुविधा मुहैया कराने का इच्छुक है और इसमें समर्थ है.

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