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‘एक अदद आइडिया’ का मामला

II आरके सिन्हा II राज्यसभा सदस्य [email protected] चंडीगढ़ से संबंध रखनेवाले सचिन बंसल ने बीते दिनों तब हंगामा खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने अपनी कंपनी फ्लिपकार्ट में अपनी हिस्सेदारी को लगभग तीन हजार करोड़ रुपये में अमेरिका की वॉलमार्ट कंपनी को बेच दिया. उन्होंने लगभग 11 वर्ष पहले फ्लिपकार्ट को बेंगलुरु में दो कमरों […]

II आरके सिन्हा II
राज्यसभा सदस्य
चंडीगढ़ से संबंध रखनेवाले सचिन बंसल ने बीते दिनों तब हंगामा खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने अपनी कंपनी फ्लिपकार्ट में अपनी हिस्सेदारी को लगभग तीन हजार करोड़ रुपये में अमेरिका की वॉलमार्ट कंपनी को बेच दिया.
उन्होंने लगभग 11 वर्ष पहले फ्लिपकार्ट को बेंगलुरु में दो कमरों के एक फ्लैट से शुरू किया था, अपने मित्र बिन्नी बंसल के साथ. उसके बाद फ्लिपकार्ट ने ई-कॉमर्स के संसार में जो कुछ करके दिखाया, उसे अब सारी दुनिया एक मिसाल के तौर पर जानती है. इस क्रम में सचिन बंसल ने हजारों नौजवानों को रोजगार दिया और अपनी कंपनी के हजारों अंशधारकों को लखपति और करोड़पति बनाया. देश को ऐसे हजारों सचिन बंसल जैसे उद्यमी चाहिए. जिनके पास नये आइडियाज हैं, जिनमें लीक से हटकर कुछ करने का जज्बा है.
अब युवा वर्ग के लिए उद्यमी बनकर देश और समाज की सेवा करने का अवसर आ चुका है. मोदी सरकार में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जो प्रावधान किये गये हैं, उसका भरपूर लाभ युवा पीढ़ी को उठाना चाहिए. इन्हें अपने कारोबार को सेटअप करने के लिए आसान शर्तों पर लोन भी मिल रहा है.
यहां एचसीएल जैसी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी खड़ा करनेवाले दलित उद्यमी शिव नाडार का जिक्र करना भी आवश्यक है. वे सन 1970 के आसपास तमिलनाडु से दिल्ली आये थे. उनके पास कुछ सौ रुपये और इंजीनियरिंग की डिग्री थी. जाहिर है कि उन्होंने तब सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वे इस शहर के सबसे धनी इंसान बन जायेंगे. देश के सबसे मालदार लोगों की फोर्ब्स की ताजा सूची में उन्हें सातवां स्थान मिला है.
वे दिल्ली के सबसे धनी व्यक्ति हैं. शिव नाडार की नेटवर्थ-14.3 बिलियन डॉलर है. शिव ने दिल्ली आकर कुछ साल तक डीसीएम डाटा प्रोडक्ट्स में नौकरी की. उसे 1976 में छोड़ दिया. वे पटेल नगर के एक गैराज से कैलकुलेटर और माइक्रोप्रोसेसर बनाने लगे.
आगे चलकर उन्होंने एचसीएल टेक्नोलॉजी की स्थापना की. अब करीब आधा दर्जन देशों में, 100 से ज्यादा कार्यालय, करीब एक लाख पेशेवर इंजीनियर उनके साथ जुड़े हैं. और नोएडा में तो शिव नाडार के दफ्तरों की भरमार है. फिलहाल, एचसीएल की 80 फीसदी आमदनी कंप्यूटर और ऑफिस इक्विपमेंट्स बेचकर ही होती है.
शिव का बचपन घोर अभावों में बीता. उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने के लिए बड़े पापड़ बेले हैं. इसलिए वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा बेहतर स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान स्थापित करने में ही निवेश करना पसंद करते हैं. वे अब नोएडा के आसपास विद्याज्ञान स्कूल व शिव नाडार यूनिवर्सिटी चलाने लगे हैं. शिव नाडार ग्रामीण भारत के सबसे गरीब गांवों से प्रतिभाशाली बच्चों को चुनकर बोर्डिंग स्कूल भेजते हैं. शिव नाडर शिक्षण संस्थाओं के विकास के लिए हजारों करोड़ रुपये दान दे चुके हैं.
देश को अब शिव नाडार और सचिन बंसल जैसे उद्यमी चाहिए. सुनील भारती मित्तल, कैप्टन गोपीनाथ, शिव नाडार, नंदन नीलकेणी जैसे उद्यमी नौकरी कर रहे होते, तो ज्यादा से ज्यादा एक फ्लैट और एक गाड़ी ही खरीद पाते. लेकिन, उद्यमी बनने के बाद इन्हें हजारों-लाखों लोगों को नौकरी देने का सुख मिला.
ये सफल इसलिए हो पाये, क्योंकि इनमें कुछ हटकर करने का जुनून था. ये कड़ी मेहनत और ईमानदारी के रास्ते पर चले. कठिनाइयों को झेला, संघर्ष किया पर बेईमानी और शाॅर्टकट रास्ता अपनाकर अमीरी नहीं पायी.
आपको भी अब अपने लिए नयी जगह बनानी होगी. आज का राजनीतिक माहौल आपको अवसर दे रहा है. आज सारा मामला ‘एक अदद आइडिया’ भर का है. आज देश के हर छोटे-बड़े शहर में फाइनेंस, रीयल एस्टेट, मीडिया, टेलीकॉम, सर्विस सेक्टर वगैरह में सफल हो चुके हजारों-लाखों उद्यमी बाकी के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. ये कामयाब इसलिए ही हुए, क्योंकि इनके पास कोई नया काम शुरू करने का शानदार आइडिया था.
दरअसल नया कारोबार शुरू करनेवाले के रास्ते में शुरुआती पूंजी जुटाना हमेशा से ही एक चुनौती भरा कार्य रहा है. पूंजी का जुगाड़ न होने के कारण न जाने कितने लाख संभावित उद्यमियों के सपने बिखर गये. अगर आपके पास कोई आइडिया है, तो उस पर काम शुरू करें. अब सरकार नये उद्यमियों को पूंजी देने के लिए भी तत्पर है.
मुद्रा बैंक योजना की शुरुआत की गयी है. इस योजना को छोटे कारोबारियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है.
मुद्रा बैंक का पूरा नाम ‘माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट फंड रिफाइनेंस एजेंसी’ है. मुद्रा बैंक योजना में 10 लाख रुपये तक के सस्ते लोन बिना किसी गारंटी या बिना जमीन-मकान गिरवी रखे हुए उपलब्ध कराने का प्रावधान है. मुद्रा बैंक से देश के करीब छह करोड़ छोटे कारोबारियों को फायदा मिल चुका है. छोटी मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों और दुकानदारों को इससे लोन मिलेगा. बात सचिन बंसल से शुरू हुई थी. अभी वे 50 वर्ष के भी नहीं हैं. उनके पास तमाम आइडियाज भी हैं. वे एक और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनी खड़ी करने का इरादा रखते हैं.
उनमें लगन और अर्जुन दृष्टि है. अब बड़ा सवाल यह है कि जब सचिन बंसल सरीखे हमारे समाज के सैकड़ों-हजारों युवा सारी दुनिया के शिखर पर जा रहे हैं, तब हम क्यों कुछ हट कर नहीं कर सकते. सोचिए, आप भी सफल होंगे. लेकिन हां, अगर आप नौकरी करके ही संतुष्ट हैं, तब फिर आप उसी का आनंद उठाइए.
Prabhat Khabar Digital Desk
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