23.4 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

रांची में लेफ्टिनेंट गवर्नर से मुलाकात में गिरफ्तारी की आशंका थी, गांधी जी ने पत्नी और बेटे को रांची बुला लिया था

अनुज कुमार सिन्हा दक्षिण अफ्रीका से भारत लाैटने (जनवरी 1915) के बाद बिहार-झारखंड की धरती पर कदम रखने में महात्मा गांधी काे बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगा. माैका था चंपारण में नील की खेती करनेवाले किसानाें के समर्थन में खड़ा हाेना. स्वदेश वापसी के बाद गांधी का यह पहला बड़ा आंदाेलन था. 10 अप्रैल 1917 […]

अनुज कुमार सिन्हा
दक्षिण अफ्रीका से भारत लाैटने (जनवरी 1915) के बाद बिहार-झारखंड की धरती पर कदम रखने में महात्मा गांधी काे बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगा. माैका था चंपारण में नील की खेती करनेवाले किसानाें के समर्थन में खड़ा हाेना. स्वदेश वापसी के बाद गांधी का यह पहला बड़ा आंदाेलन था. 10 अप्रैल 1917 काे गांधी पहली बार काेलकाता से राजकुमार शुक्ल के साथ बांकीपुर आये थे.
यह उनकी बिहार की पहली यात्रा थी. बिहार आ कर ही उन्हाेंने नील की खेती करनेवाले रैयताें की असली परेशानी आैर गंभीरता काे न सिर्फ समझा था, बल्कि आंदाेलन काे मुकाम तक पहुंचाने का संकल्प भी लिया था. सरकार आैर आंदाेलनकारी आमने-सामने थे.
आंदाेलन के क्रम में अचानक ऐसी स्थिति ऐसी बन गयी कि महात्मा गांधी काे रांची आना पड़ा. यह स्थिति इसलिए बनी थी, क्याेंकि तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ड गेट महात्मा गांधी से मिलना चाहते थे.
उन दिनाें बिहार-आेड़िशा के लेफ्टिनेंट गवर्नर रांची में रहते थे. सरकार की आेर से गांधी काे सम्मन गया था कि चार जून, 1917 काे वे रांची में आकर गेट से मिले.
आदर के साथ सरकार काे चेतावनी : 30 मई, 1917 काे ही गांधी ने बिहार के तत्कालीन मुख्य सचिव काे बेतिया से पत्र भेज दिया था कि उन्हें चार जून काे बात करने में खुशी हाेगी.
इसी पत्र में गांधी ने साफ-साफ लिखा था- मैं बड़े आदर के साथ सरकार काे चेतावनी देना चाहता हूं कि यदि वह मुझे रैयत के बीच से हटायेगी ताे बुरी तरह गलतफहमी का शिकार बनेगी. महात्मा गांधी आैर उनके समर्थकाें काे शंका थी कि गांधी काे रांची बुला कर या ताे गिरफ्तार कर लिया जायेगा या उन्हें नजरबंद कर दिया जायेगा. ऐसी शंका के पीछे कारण थे. सरकार यह आराेप लगा रही थी कि गांधी जहां-जहां जा रहे हैं, अंगरेजाें की काेठियां जला दी जा रही हैं. बिहार सरकार मानती थी कि गांधी का चंपारण में रहना खतरनाक है.
चूंकि चंपारण में रैयताें के बीच गांधी काे गिरफ्तार करना मुश्किल हाेगा, इसलिए सरकार बातचीत के बहाने रांची बुला कर उन्हें गिरफ्तार करेगी.
गांधी के समर्थक भी यह समझ नहीं पा रहे थे कि अचानक गांधी काे लेफ्टिनेंट गवर्नर ने रांची क्याें बुलाया है? राजेंद्र प्रसाद का भी मानना था कि उनके मन में भी यह बात आयी कि शायद गांधी रांची से न लाैट पायें. इसलिए यह तैयारी कर ली गयी कि अगर गांधी काे रांची में गिरफ्तार कर लिया गया ताे आगे का आंदाेलन कैसे चलेगा, काैन नेतृत्व करेगा.
पटना बुलाये गये महामना : पंडित मदन माेहन मालवीय काे तार देकर पटना बुला लिया गया. महात्मा गांधी ने अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी आैर छाेटे बेटे देवदास गांधी काे रांची बुला लिया. देवदास उस समय साबरमती आश्रम सत्याग्रह में थे. राजेंद्र बाबू काे पटना भेज कर शीर्ष नेताआें से संपर्क करने की जिम्मेवारी दी गयी.
एक जून की शाम में पंडित मालवीय पटना पहुंच चुके थे. बैठक हुई जिसमें मजरूल हक, कृष्ण सहाय, मदन माेहन मालवीय, परमेश्वर लाल, बाबू बैजनाथ नारायण सिंह माैजूद थे. यह तय हुअा कि यदि महात्मा जी के खिलाफ रांची में काेई कार्रवाई हुई, गिरफ्तारी हुई या नजरबंद किया गया ताे मजरूल हक या पंडित मालवीय चंपारण आंदाेलन का नेतृत्व करेंगे. इस बैठक के बाद मालवीय प्रयाग चले गये.
विजेता की तरह बैठक से निकले गांधी : इस बीच महात्मा गांधी बाबू ब्रजकिशाेर प्रसाद के साथ रांची पहुंच गये. कस्तूरबा गांधी आैर देवदास गांधी भी रांची पहुंच चुके थे. तिथि थी 4 जून. यह गांधी की पहली रांची यात्रा थी.
गांधीजी रांची में श्रद्धानंद राेड स्थित श्याम कृष्ण सहाय के घर पर ठहरे थे. पूरे देश की निगाहें गांधी-गेट वार्ता पर टिकी थी कि आखिर गांधी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है. बिहार सरकार गांधीजी काे काेई आैर माैका नहीं देना चाहती थी लेकिन गवर्नर जनरल चेम्सफाेर्ड कुछ अलग साेच रहे थे. उन्हाेंने चंपारण जांच कमीशन नहीं बनाने की बिहार सरकार की जिद काे अमान्य करार दिया.
इससे एक कदम आगे जा कर चेम्सफाेर्ड ने चंपारण जांच कमीशन बनाने का आदेश दे दिया. 4 जून काे एडवर्ड गेट आैर महात्मा गांधी की बातचीत गवर्नमेंट हाउस (आज का आड्रे हाउस) में वार्ता शुरू हुई. लगभग छह घंटे तक वार्ता हुई. इस बीच ब्रज किशाेर बाबू समेत तमाम लाेग बेचैन थे कि अंदर हाे क्या रहा है, इतना विलंब क्याें हाे रहा है. लेकिन अंदर स्थिति कुछ आैर थी. गांधी जी प्रभाव अपना रंग दिखा चुका था.
गेट चंपारण जांच कमीशन बनाने पर सहमत हाे चुकी थी. गांधीजी के तर्काें आैर प्रभाव के आगे गेट झुक चुके थे. उनकी कई मांगें मान ली गयी थीं. इतना ही नहीं, सरकार ने खुद गांधी काे जांच कमीशन आयाेग का सदस्य बनने की पेशकश कर दी, जिसे गांधी जी ने मान लिया था. वार्ता खत्म हुई आैर गांधी जी गिरफ्तार हाेने की जगह विजेता की तरह बैठक से निकले. चाराें आेर खुशी की लहर दाैड़ पड़ी थी.
मंच की जगह जनता के बीच बैठे गांधी : रांची की जनता इस खुशी काे उत्सव के ताैर पर मनाना चाह रही थी. जल्दीबाजी में आर्य समाज मंदिर परिसर में एक सभा का आयाेजन किया गया. गांधीजी वहां आये आैर मंच की जगह जनता के बीच बैठे. काेई भाषण नहीं दिया. उसी दिन रात में गांधीजी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी, बेटे देवदास गांधी आैर ब्रज किशाेर बाबू के साथ चंपारण के लिए रवाना हाे गये. ऐसी थी गांधी की पहली रांची यात्रा आैर ऐसा था गांधी का प्रभाव.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel