सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है. पर उससे भी गंभीर बात यह है कि अधिकतर मामलों में घायलों को समय से इलाज नहीं मिल पाता है. ऐसे में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति के बचने की उम्मीद घट जाती है.
2004 को सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के सभी संबंधित मंत्रलयों को बहुत ही महत्वपूर्ण और स्पष्ट दिशानिर्देश दिया था कि कोई भी सड़क दुर्घटना होने पर पहली प्राथमिकता घायल का उचित इलाज होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस स्पष्ट निर्देश का ध्येय यही है कि दुर्घटना स्थल पर मौजूद लोग बिना किसी डर के घायलों की मदद करें. इस निर्देश का आम जनता के बीच उचित प्रचार-प्रसार होना चाहिए था. पर शायद वैसा नहीं हुआ.
लोग आज भी कोई सड़क दुर्घटना होने पर मूकदर्शक बन कर पुलिस के आने का इंतजार करते हैं. लोगों के इस रवैये का मुख्य कारण संवेदनहीनता नहीं, तो क्या?
देवेंद्र कुमार पाठक, रांची