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सूर्य और जीवन : महापर्व मकर-संक्रांति

सूर्य को संसार में रहनेवाले सभी जीवों और पदार्थो की आत्मा कहा गया है. धरती को प्रकाश और गरमाहट देकर वह यहां जीवन को संभव बनाता है. सूर्य के बिना धरती पर पेड़-पौधों, फसलों की कल्पना भी नहीं की जा सकती. सूर्य के प्रकाश का संबंध हमारी सेहत और मुस्कुराहट से भी है.. सूरज का […]

सूर्य को संसार में रहनेवाले सभी जीवों और पदार्थो की आत्मा कहा गया है. धरती को प्रकाश और गरमाहट देकर वह यहां जीवन को संभव बनाता है. सूर्य के बिना धरती पर पेड़-पौधों, फसलों की कल्पना भी नहीं की जा सकती. सूर्य के प्रकाश का संबंध हमारी सेहत और मुस्कुराहट से भी है..
सूरज का सेहत से नाता
सूर्य सिर्फ उजाले का ही नहीं, विटामिन डी का भी अहम स्नेत है. विटामिन डी शरीर और हड्डियों के विकास के लिए बेहद जरूरी है. यह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मल्टिपल स्क्लेरोसिस आदि बीमारियों से बचाव और इलाज में सहायक हो सकता है. लेकिन मौजूदा जीवनशैली ने सूर्य की रोशनी से सीधे संपर्क की स्थितियों को कम कर दिया है. नतीजतन लोगों में विटामिन डी की कमी से होनेवाली शारीरिक परेशानियों में इजाफा हुआ है.
विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में अस्सी फीसदी आबादी विटामिन डी की कमी से ग्रस्त है. इसकी कमी से वयस्कों में हड्डियों खासतौर पर कमर, पैरों और पसलियों में दर्द की समस्या होने लगती है. खून में विटामिन डी की कमी याददाश्त कमजोर करती है. हृदय रोग का कारण बनती है.
बच्चों को इसकी कमी अस्थमा का शिकार बना सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ एकेस्टर मेडिकल स्कूल के एक शोध के मुताबिक विटामिन डी की कमी के चलते उम्रदराज लोगों का दिमागी संतुलन गड़बड़ा सकता है. हृदय रोग और हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है. विटामिन डी की कमी अवसाद का कारण भी बन सकती है. अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया के कॉलेज ऑफ एजुकेशन के एक शोध में मौसमी अवसाद तथा सूरज की रोशनी की कमी के बीच एक सबंध पाया गया. इस शोध के मुताबिक ‘मौसमी अवसाद विकसित होने में विटामिन डी की एक नियंत्रणकारी भूमिका हो सकती है.’ वैसे तो दालें और मछली भी विटामिन डी के स्नेत हैं लेकिन इसका सबसे अहम स्नेत सूरज की रोशनी है. धूप के संपर्क में आने पर त्वचा इसका निर्माण करने लगती है. इस तरह सूरज का हमारी सेहत के साथ गहरा नाता है.
इसलिए भारत में खासतौर पर सर्दियों में धूप सेंकने की परंपरा रही है, जिसे रोज की आपाधापी में लोग भुलाते जा रहे हैं. अगर आप रोज सिर्फ 15 मिनट धूप में बैठते हैं, तो विटामिन डी की पर्याप्त मात्र में पूर्ति होती रहती है.
महापर्व मकर-संक्रांति
पक्ष, राशि,अयन या ऋतु जब भी बदलती हैं, तब संक्रांति होती है. सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश करनेवाली संक्रांति का विशेष महत्व है, जिसे मकर संक्रांति कहते हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. खुशी और समृद्धि का प्रतीक यह त्योहार अलग-अलग नाम और परंपरा से मनाया जाता है. वेदों में मकर संक्रांति को महापर्व का दर्जा दिया गया है. मान्यता है कि मकर संक्रांति से सूर्य का स्वरूप तिल-तिल बढ़ता है.
अत: इसे तिल-संक्रांति कहा जाता है. इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर भगवान सूर्यदेव को भोग लगाते हैं, इसलिए यह पर्व खिचड़ी के नाम से भी प्रसिद्ध है. मकर संक्रांति के दिन सुबह-सुबह पवित्र नदी में स्नान कर तिल और गुड़ से बनी वस्तु को खाने की परंपरा है. इस दिन तिल, चावल, दाल की खिचड़ी बनाई जाती है.
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और गीता के अनुसार जो व्यक्ति उत्तरायण में शरीर का त्याग करता है, वह श्री कृष्ण के परम धाम में निवास करता है. इस दिन लोग विशेष पूजा का आयोजन करते हैं. पुराणों में इस दिन प्रयाग और गंगासागर में स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है, जिस कारण इस तिथि में स्नान एवं दान का करना बड़ा पुण्यदायी माना गया है.
मकर संक्रांति के दिन भगवान भास्कर (सूर्य) अपने पुत्र शनिदेव से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अतएव इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था. मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चल कर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. मकर-संक्रांति से प्रकृति भी करवट बदलती है. देश के कई इलाकों में इस दिन लोग पतंग भी उड़ाते हैं.
इस साल सूर्य 14/15 जनवरी की मध्यरात्रि 1:20 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा. इसी के साथ खरमास समाप्त हो जायेगा और शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त शुरू हो जायेगा. निर्णयसिंधु में संक्रांति काल से पहले के 6 घंटे और बाद के 12 घंटे पुण्यकाल के लिए वर्णित हैं. चूंकि संक्रांति काल रात्रिकाल में है इसलिए विशेष पुण्य काल 15 जनवरी को दोपहर 1:30 तक एवं सामान्य पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा.
उदय काल में संक्रांति का पुण्यकाल श्रेष्ठ माना गया है. इसलिए 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जायेगी. विशेष बात यह कि 15 तारीख को 15 वां नक्षत्र स्वाति और 15 मुहूर्त तिथि होगी. यही नहीं, इस दिन पांचवां वार गुरुवार व दशमी तिथि का योग भी 15 होगा. इसलिए तिथि काल और सूर्य-पृथ्वी की गति के कारण इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 तारीख को मनेगा.
दान, तप, जप का विशेष महत्व
स्कंदपुराण के अनुसार उत्तरायण सूर्य अर्थात् मकर संक्रांति में गाय एवं तिल का दान करने से समस्त कार्यों की सिद्धि तथा परम सुख की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है. इसीलिए इस दिन दान, तप, जप का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन दिया गया दान विशेष फल देनेवाला होता है. माघ मास में तीर्थ क्षेत्र में तेल एवं आंवले का नित्य दान तथा गुरुजन की सेवा के लिए अग्नि प्रज्ज्वलित करना चाहिए तथा स्नान के बाद जल रहित भोज्य पदार्थ का दान करना चाहिए. ब्राrाण सुयोग्य दंपति को भोजन करा कर चावल-तिल का लड्डू, वस्त्र तथा आभूषण का दान करें. कंबल, वस्त्र, काजल, नीलवस्त्र एवं रत्नों का गुप्त रूप से दान करते हुए माघ स्नान से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
सूरज की रोशनी से झरती मुस्कुराहट
सूरज की रोशनी सकारात्मक ऊर्जा का भी अहम स्नेत है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक सूरज की रोशनी के संपर्क में रहने से मस्तिष्क से सेरोटोनिन हार्मोन का स्नव होता है. यह व्यक्ति को खुशमिजाज बनाता है.’ इस अध्ययन के अनुसार सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहनेवालों की कार्यक्षमता अधिक होती है. खिड़की से अगर सूर्य की रोशनी आती हो तो मूड अच्छा रहता है और सक्रियता बढ़ जाती है.
अन्रिदा दूर होती है. सुबह की गुगनुनी धूप में आधे घंटे की सैर बॉडी क्लॉक पर अच्छा असर डालती है. उधर, चीनवासियों की मान्यता है कि जिस घर में सूर्य का प्रकाश नहीं जाता, वहां डॉक्टर जाता है. ऐसे कमरे जिनमें सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती, वहां सीलन के साथ कीड़े-मकौड़े होने की संभावना भी बढ़ जाती है और इसका स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है. वास्तुकार भी मकान का नक्शा बनाते वक्त इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि घर में सही तरीके से सूर्य का प्रकाश पहुंचे. माना जाता है कि जिस घर में सूर्य का प्रकाश आता है, वहां रहने वाले लोग उत्साह व ऊर्जा से भरपूर होते हैं.
घर में सकारात्मक ऊर्जा मौजूद रहती है. इसलिए दिन में कम से कम एक बार खास तौर पर सुबह कुछ देर के लिए ही सही घर के सभी खिड़की-दरवाजे खोल देना चाहिए, ताकि सूर्य की रोशनी भीतर तक आ सके.
Prabhat Khabar Digital Desk
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