UP Politics: आचार व्यवहार और विचार से भले ही मायावती के निशाने पर सबसे पहले कांग्रेस होती है. हालांकि वह बीजेपी को भी कोसने का कोई मौका नहीं छोड़तीं. लेकिन अंदरखाने काफी कुछ चल रहा है. यदि उनके बयानों पर गौर करें तो यही लगता है कि कांग्रेस ही उनके लिए फायदेमंद पार्टी है. कुछ दिन पहले प्रियंका गांधी ने नर्मदा पूजन के साथ एमपी में चुनाव प्रचार शुरू किया तो मायावती ने बयान दिया कि बीजेपी और कांग्रेस में हिंदुत्ववादी बनने की होड़ है.लेकिन उनकी ही पार्टी के कुछ बड़े नेताओं की राय अलग है. ये नेता खुल कर तो कुछ भी नहीं कह रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि कांग्रेस से गठबंधन ही बीएसपी के लिए समय की मांग है. बता दें कि बीते सप्ताह लगातार तीन दिनों तक मायावती के घर में मैराथन मीटिंग हुई. इसमें बीएसपी के केवल 10 नेताओं को बुलाया गया. इनमें पार्टी अध्यक्ष मायावती समेत परिवार के ही तीन लोग थे. वहीं बाकी के नेताओं में सेंट्रल कॉर्डिनेटर और यूपी के इकलौते विधायक शामिल हैं. इस मीटिंग में पार्टी के सांसदों को भी नहीं बुलाया गया, जबकि लोकसभा में दस सासंद हैं. हालांकि इकलौते राज्यसभा सांसद रामजी गौतम मौजूद थे. बता दें कि इसी साल राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव होने हैं. इन राज्यों में पार्टी के प्रभारी भी बैठक में मौजूद रहे. मायावती ने पहले सभी नेताओं से अकेले में मुलाकात की. फिर आख़िर में सभी नेताओं के साथ मायावती में संयुक्त मीटिंग की.
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UP Politics: BSP के सामने अस्तित्व बचाने की बड़ी चुनौती, 2024 से पहले हो सकता है कांग्रेस से गठबंधन
UP Politics: आचार व्यवहार और विचार से भले ही मायावती के निशाने पर सबसे पहले कांग्रेस होती है. हालांकि वह बीजेपी को भी कोसने का कोई मौका नहीं छोड़तीं. लेकिन अंदरखाने काफी कुछ चल रहा है. यदि उनके बयानों पर गौर करें तो यही लगता है कि कांग्रेस ही उनके लिए फायदेमंद पार्टी है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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