24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

साक्षात प्राकृतिक शक्तियों की पूजा है छठ पर्व

चपन से ही छठ पर्व की यादें एक सुखद एहसास की तरह बनी रही. उस वक्त मां व्रत तो करती थी, पर खुद से घर मे छठ के रीत नहीं करती थी (राजस्थानी-मारवाड़ी संस्कृति में छठ करने का रिवाज नहीं है). हम पड़ोस की आंटी के यहां जाया करते थे. उस वक्त हमारे लिए छठ […]

चपन से ही छठ पर्व की यादें एक सुखद एहसास की तरह बनी रही. उस वक्त मां व्रत तो करती थी, पर खुद से घर मे छठ के रीत नहीं करती थी (राजस्थानी-मारवाड़ी संस्कृति में छठ करने का रिवाज नहीं है). हम पड़ोस की आंटी के यहां जाया करते थे.
उस वक्त हमारे लिए छठ का मतलब था- सुबह भोर में 2-3 बजे मां द्वारा जबर्दस्ती उठाना, सर्दी का पहला एहसास होना, जाड़े का पहला स्वेटर पहनना, छठ गीतों को गुनगुनाना (समझ में तो नहीं आता था, पर धुन बार-बार सुनने के कारण जुबान पर चढ़ जाती थी), घाट पर पांव का मिट्टी में धंसना, गंगा मे छप-छप करना, सूरज उगने का इंतजार, अधिकाधिक सूप में अर्घ्य देने की होड़, ईख चूसना, ठेकुआ खाना, पारण का प्रसाद खाना और भी न जाने छठ कितनी ही सोंधी महक वाली यादें बसी हैं जेहन में.
स्कूल के दिनों में मैं, धर्म, रीति-रिवाज, देवी-देवताओं को अपनी तर्क की कसौटी पर परखने लगा. तब मुझे छठ और अच्छा लगने लगा. तब महसूस हुआ कि छठ वाकई साक्षात शक्तियों की पूजा है, क्योंकि इसमें सूर्य और गंगा, जिन पर कि हमारा जीवन और हमारी सभ्यता आश्रित है, उन उपासना की जाती है.
पिछले 17 वर्षों से मेरी मां स्वयं घर में संपूर्ण रीति-रिवाज के साथ छठ कर रही हैं. उनकी इस आस्था की मूल वजह तो मुझे पता नहीं, पर धीरे धीरे यह घर का सबसे महत्वपूर्ण पर्व बन गया है.
पानी में उतर कर स्नान करने के बाद प्रार्थना करती मां की आकृति अलौकिक प्रतीत होती है. पूजा के बाद मां जब सिर पर हाथ रख आशीर्वाद देती है, तो लगता है आकाश की समस्त शक्तियां स्वयं अपना तेज मुझमें प्रवाहित कर रही हों. धीरे-धीरे सभी त्योहारों पर बाज़ार हावी होता जा रहा है. सभी त्योहार ब्रांडेड होते जा रहे हैं, लेकिन शुक्र है कि छठ की शुद्धता बनी हुई है. मिट्टी, गांव, घर, परंपरा से इसका जुड़ाव आज भी बना हुआ है.-
फेसबुक से साभार
लोगों के अंदर शुद्धता का भाव देखते बनता है
होली और दुर्गा पूजा पर मैं हर बार घर से बाहर रहता हूं, पर दिवाली और छठ पर मुझे हर हाल में घर आना ही होता है. कई और बातें है जिसने, मेरे मन में छठ के प्रति श्रद्धा बढ़ायी है. संपूर्ण बिहार और झारखंड में छठ के प्रति जबर्दस्त समर्पण का भाव दिखता है. एक बार सुबह के अर्घ्य के पूर्व रात में 12 बजे स्टेशन से घर लौटते वक्त सारे रास्ते युवाओं को सड़क साफ करते देखा. तब समझ में आया कि बिहारवासियों के लिए छठ कितना महत्वपूर्ण है. छठ को लेकर यहां के लोगों में एक शुद्धतावादी भाव, चाहे वो ग्वाला हों या चक्की वाला. पिछले पांच वर्षों से सूप, नारियल एवं साड़ी का वितरण करते हुए मुझे जिस सुकुन का एहसास होता है, वह दिव्य है. पूजा के लिए छत धोने में बड़ा ही आनंद आता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel