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टाटा हॉस्पिटल में नयी थेरैपी विकसित, 120 रुपये में स्तन कैंसर का इलाज

स्तन कैंसर के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है़ मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने स्तन कैंसर के इलाज के लिए महंगी कीमोथेरैपी का बेहद सस्ता, लेकिन असरदार विकल्प तलाश लिया है़ दरअसल, उन्होंने इस बीमारी के इलाज के लिए एंटी-डायबिटिक और कीमोथेरैपी की दवाओं के मेल से एक नयी थेरैपी विकसित […]

स्तन कैंसर के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है़ मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने स्तन कैंसर के इलाज के लिए महंगी कीमोथेरैपी का बेहद सस्ता, लेकिन असरदार विकल्प तलाश लिया है़ दरअसल, उन्होंने इस बीमारी के इलाज के लिए एंटी-डायबिटिक और कीमोथेरैपी की दवाओं के मेल से एक नयी थेरैपी विकसित की है, जिसका खर्च प्रतिमाह 120 रुपये से भी कम आयेगा़ . एक पायलट स्टडी के तौर पर पूरे किये गये इस प्रोजेक्ट के तहत तैयार की गयी नयी थेरैपी का परीक्षण ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर की मरीजों पर किया गया और इस दवा के प्रभाव से उनमें जीवित रहने की दर 40 प्रतिशत तक बढ़ गयी़.
हर 20वीं महिला को स्तन कैंसर : यहां जानना जरूरी है कि भारत में हर 20वीं महिला स्तन कैंसर से जूझ रही है़ देश में इस बीमारी से मौत का आंकड़ा चीन से भी अधिक है़ .
इसके बावजूद यहां लोगों में इस बीमारी से होनेवाले खतरों के प्रति जागरूकता की बड़ी कमी है़ विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में तकरीबन 85 प्रतिशत महिलाएं विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह लेती हैं, लेकिन हमारे देश में यह आंकड़ा केवल पांच प्रतिशत है़.
ऐसे में इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक कर अगर समय से लक्षणों का उपचार किया जाये, तो पीड़ित महिला की जान बचायी जा सकती है़ इसके अलावा, हमारे देश में महंगा इलाज भी एक बड़ी बाधा है, जिसे टाटा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने दूर करने की कोशिश की है़.
40 प्रतिशत तक बढ़ी जीने की दर : बहरहाल, टाटा हॉस्पिटल का यह अध्ययन छह वर्षों तक 25 से 75 आयुवर्ग की स्तन कैंसर की 64 मरीजों पर किया गया़ इसके तहत उन्हें कैंसर के इलाज की दो गोलियों के साथ डायबिटीज के इलाज की एक गोली डेढ़ साल तक हर रोज दी गयी़
जब यह कोर्स पूरा हुआ, तो अध्ययन के नतीजे उत्साहवर्धक निकले़ इस अध्ययन में शामिल 37 महिलाओं में पांच साल से ज्यादा जीने की दर, अन्य की तुलना में 50 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत तक पहुंच गयी़
क्या है मेट्रोनॉमिक मॉडल? : इस बारे में टाटा हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और डीन डॉ श्रीपद बनवाली का कहना है कि यह मेट्रोनॉमिक थेरैपी का एक अहम मामला है, जिसके तहत मरीज को किफायती और हल्के डोजवाली दवा लंबे समय तक दी जाती है़ वह बताते हैं कि मेट्रोनॉमिक मॉडल कैंसर पर तीन तरह से आक्रमण करता है, जो इस प्रकार हैं – 1़ ट्यूमर तक खून की सप्लाई कमजोर करना, 2़ शरीर की सूक्ष्म स्तर की संरचना को व्यवस्थित करना, और 3़ बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाना़
उपशामक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल : बनवाली आगे बताते हैं कि मेट्रोनॉमिक मॉडल को कैंसर के मरीज में सर्जरी, कीमोथेरैपी और रेडियोथेरैपी के असफल होने की स्थिति में एक उपशामक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल में लाने के उपाय तलाशे जा रहे हैं. वह आगे कहते हैं कि भारत जैसे देश में, जहां कोई नयी दवा तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं होता, वहीं इस मॉडल के तहत हम मरीज को वे दवाएं नये तरीके से लेने का सुझाव दे सकते हैं, जो पहले से इलाज के मकसद से इस्तेमाल में लायी जा रही हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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