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बेंगलुरु में बनेगा सबसे ऊंचा स्काई डेक, रेस्टूरेंट, थिएटर और शॉपिंग मॉल के साथ बहुत कुछ

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के पास विकास मंत्री का भी प्रभार है. उन्होंने मंगलवार को इस परियोजना पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने इस स्काई डेक के निर्माण पर होने वाले खर्च और जमीन अधिग्रहण और उसकी पहचान करने को लेकर अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया.

बेंगलुरु : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में ट्रैफिक जाम की समस्या को दूर करने के लिए टनल वाली सड़कों के निर्माण के बाद अब सूबे के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने स्काई डेक बनाने का प्रस्ताव सरकार के सामने पेश किया है. मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि प्रस्तावित स्काई डेक की लंबाई करीब 250 मीटर होगी. अगर डीके शिवकुमार के प्रस्ताव पर सरकार अमल करती है, तो यह भारत का सबसे ऊंचे टावरों में से एक होगा.

डीके शिवकुमार ने अधिकारियों से की चर्चा

अंग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के पास विकास मंत्री का भी प्रभार है. उन्होंने मंगलवार को इस परियोजना पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने इस स्काई डेक के निर्माण पर होने वाले खर्च और जमीन अधिग्रहण और उसकी पहचान करने को लेकर अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया. बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शहरी विकास विभाग के अधिकारियों को ऐतिहासिक स्काई डेक के निर्माण के लिए शहर के बीचोंबीच किसी स्थान की पहचान करने का निर्देश दिया.

ऑस्ट्रिया की कंपनी ने तैयार किया डिजाइन

रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंगलुरु में बनने वाले स्काई डेक के डिजाइन को ऑस्ट्रिया की डिजाइन और आर्किटेक्चर कंपनी कॉप हिममेलब (एल)एयू द्वारा तैयार किया गया है. इस कंपनी ने फ्रांस में म्यूसी डेस कॉन्फ्लुएंस (ल्योन) और जर्मनी में यूरोपीय सेंट्रल बैंक (फ्रैंकफर्ट) का भी निर्माण किया है. उपमुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि यह डिजाइन बरगद के पेड़ की विशाल शाखाओं, लटकती जड़ों और खिलते फूलों की प्राकृतिक वृद्धि को नियंत्रित करने वाले एल्गोरिदम पर आधारित है.

कैसा होगा स्काई डेक का डिजाइन

डिजाइन में इस स्काई डेक को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें बेस, ट्रंक और ब्लॉसम शामिल है. इसकी ऊंचाई करीब 250 मीटर होगा. यह करीब 8-10 एकड़ जमीन पर बनेगी. इसका डिजाइन बरगद के पेड़ की तरह होगा. स्काईडेक डिजाइन बरगद की लटकती शाखाओं, लटकती जड़ों और खिलते फूलों के प्राकृतिक विकास को नियंत्रित करने वाले जटिल एल्गोरिदम से प्रेरित है. इस स्काईडेक का बेस शहर के इतिहास को दर्शाता हुआ लंगर जैसा होगा. ट्रंक बरगद के पेड़ के विकास की याद दिलाएगा. सबसे ऊपरी भाग किसी खिले हुए फूल से प्रेरित एक प्रकाशस्तंभ जैसा होगा. इसके साथ ही, इसके टॉप पर विंग कैचर हवा की दिशा का सामना करने के लिए घूमता रहेगा.

सोलर पैनल से बनाई जाएगी बिजली

शहरी विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस स्काई डेक के रोलर-कोस्टर डेक पर एक सोलर पैनल भी लगाया जाएगा, जिससे बिजली पैदा की जाएगी. इसका इस्तेमाल इस हाईडेक के लिए किया जाएगा.

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शॉपिंग मॉल्स, रेस्टूरेंट, थिएटर और स्काई गार्डन से होगा लैस

सबसे बड़ी बात यह है कि बेंगलुरु में बनने वाले इस स्काई डेक में शॉपिंग मॉल्स, रेस्टूरेंट, थिएटर और स्काई गार्डन जैसी सुविधाएं भी होंगी. इसके टॉप में एक रोलर-कोस्टर स्टेशन, प्रदर्शनी हॉल, स्काई लॉबी, मनोरम दृश्य के लिए स्काईडेक, बीयर बार और एक वीआईपी एरिया भी होगा. कंपनी ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि स्काईवॉक और रोलर-कोस्टर इंजीनियरिंग की उपलब्धि हैं, जो गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत टावर के कोर से केबलों तारों नेटवर्क के जरिए हवा में लटकता हुआ दिखाई देगा.

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स्काई डेक क्या है?

स्काई डेक पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे शहर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ और सड़क जाम की समस्या को दूर करने के लिए बनाया जाता है. इसमें रेस्टूरेंट, शॉपिंग मॉल्स, थिएटर आदि की भी सुविधाएं होती हैं. भारत में कर्नाटक के बेंगलुरु में स्काई डेक बनाने का प्रस्ताव सरकार के सामने पेश किया गया है.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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