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EVs और ICE गाड़ियों के मुकाबले कहीं अधिक इको-फ्रेंडली हैं Hybrid कारें? IIT कानुपर के छात्रों ने किया खुलासा

आईआईटी कानपुर के छात्रों के अध्ययन से यह पता भी चलता है कि बाजार में बेचे जाने वाले वाहन पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि आईसीई और हाइब्रिड वाहनों के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव अधिक डाल सकते हैं.

Hybrid Vehicles Sustainable : भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को पेट्रोल-डीजल अथवा आईसीई (इंटरनल कम्ब्यूशन इंजन) वाली कारों से कहीं अधिक बेहतर इलेक्ट्रिक कारों को माना जा रहा है. खासकर, महानगरों में इलेक्ट्रिक कारों को अधिक पसंद किया जा रहा है. सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआई) स्कीम चला रही है. ऐसे में, आईआईटी कानुपर के छात्रों ने अपने शोध में पाया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों और आईसीई कारों से कहीं अधिक टिकाऊ हाइब्रिड कारें होती हैं. इस शोध अध्ययन में कहा गया है कि हाइब्रिड कारें ईवी और आईसीई कारों से बेहतर हो सकती हैं.

पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं इलेक्ट्रिक वाहन

आईआईटी कानपुर के छात्रों के अध्ययन से यह पता भी चलता है कि बाजार में बेचे जाने वाले वाहन पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि आईसीई और हाइब्रिड वाहनों के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव अधिक डाल सकते हैं. शोध करने वाले छात्रों की टीम ने आईसीई, हाइब्रिउ और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल समेत कई स्तरों पर रिसर्च किया और फिर इसके बाद इसका खुलासा किया.

बिजली बनाने के लिए भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन

छात्रों के अध्ययन में यह संकेत भी दिया गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन, उपयोग और स्क्रैपिंग से हाइब्रिड और आईसीई वाहनों के मुकाबले 10 से 15 फीसदी से अधिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हो सकता है. अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि तथाकथित पर्यावरण-अनुकूल इलेक्ट्रिक वाहन बिजली से चार्ज होने वाली बैटरियों पर निर्भर हैं और भारत में करीब 75 फीसदी तक बिजली का उत्पादन कोयला से चलने वाले संयंत्रों के द्वारा किया जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयले से बड़े पैमाने पर अबाध तरीके से बिजली का उत्पादन होने की वजह से वायुमंडल में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होगा.

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बैटरियों के ठीक से निपटान नहीं से खतरा

इसके अलावा, अध्ययन में यह भी कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी में लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है. आम तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को पर्यावरण के अनुकूल माना जा रहा है, लेकिन इसकी बैटरियों का सही तरीके से निपटान नहीं किया गया, तो पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं. इसके अलावा, इन्हें गलत तरीके से संभाला गया, तो आज के इलेक्ट्रिक वाहन भविष्य के लिए समस्या बन सकते हैं.

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ग्रीन हाउस गैस कम उत्सर्जित करते हैं हाइब्रिड वाहन

अध्ययन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फिलहाल, हाइब्रिड वाहन सबसे कम मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं. हालांकि, इन वाहनों को आधिकारिक तौर पर न तो प्रोत्साहित किया जा रहा है और न ही इस पर किसी प्रकार की रियायतें ही दी जा रही हैं. इसलिए ऐसे वाहन आम आदमी के बजट से बाहर हो गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाइब्रिड कारें पारंपरिक आईसीई कारों के मुकाबले अधिक महंगी हैं. इसलिए कई लोग अब भी पेट्रोल-डीजल से चलने वाली कारों को ही खरीदना अधिक पसंद कर रहे हैं.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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