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Tokyo Olympics 2020 में गोल्ड जीतने वाले Neeraj Chopra ने Youtube को बनाया था कोच, इस भाले से की प्रैक्टिस

किसान फैमिली से आने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में गोल्ड जीतकर भारत का मान-सम्मान बढ़ा दिया है. आइये जानते हैं इस गेम को सिखाने वाले उनके कोच कौन थे. कैसी रही उनकी जर्नी...

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) के जेवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra wins Gold) ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. लेकिन, क्या आप जानते हैं उनके कोच कौन थे…

दरअसल, नीरज चोपड़ा ने क्वालिफिकेशन राउंड में ही पहली कोशिश में 86.65 मीटर दूर भाला फेंक कर उम्मीद जता दी थी. उन्होंने 1 नंबर पोजिशन के साथ फाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया था. और फाइनल में तो उन्होंने करोड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया.

गरीब किसान के बेटे है नीरज चोपड़ा

आपको बता दें कि नीरज चोपड़ा एक गरीब किसान परिवार के बेटे है. इनके सक्सेस की कहानी काफी प्रेरणादायी है. ये 17 सदस्यों वाले संयुक्त परिवार में रहते थे.

7 हजार के भाले से किया प्रैक्टिस

घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद इन्होंने बहुत मुश्किल से जेवलिन थ्रो के लिए भाले खरीदा. उन्होंने महज 7 हजार के भाले से वे प्रैक्टिस शुरू किया क्योंकि जेवलिन थ्रो वाला भाला डेढ़ लाख का आता था.

कैसे जागा जेवलिन थ्रो में इंटरेस्ट

दरअसल, 11 साल की उम्र में इनका वजन काफी ज्यादा था. फिर पिता और चाचा के कहने पर इन्होंने पानीपत शिवाजी स्टेडियम में कई तरह के खेल खेलकर वजन घटाना शुरू किया. खबरों की मानें तो एक बार स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को जैवलिन थ्रो करते देखा तो मजाक-मजाक में इन्होंने भी पूरी ताकत से थ्रो किया. जिसे देख वहां के सभी खिलाड़ी हैरान रह गए. दरअसल, उन्होंने 11 साल की उम्र में 25 मीटर से अधिक दूर तक भाला फेंका था. जिसके बाद से उन्हें इस गेम में इंटरेस्ट जाग गया.

You Tube को बनाया कोच

हालांकि, उनका शुरू में कोच नहीं था लेकिन, इस गेम में रूची जाग जाने के कारण वे हर दिन 7-8 घंटे इसकी प्रैक्टीस करते थे. उन्होंने You Tube को अपना कोच बना लिया. हर दिन वीडियो देखते और अपने परफार्मेंश में सुधार करने की कोशिश में लगे रहते. इसके बाद वे यमुनानगर में ट्रेनिंग करने लगे. बस फिर क्या था करियर की ऊंचाईयों पर बैठ चुके नीरज टोक्यो ओलंपिक के सुपरस्टार बनकर उभर गए है.

कोरोना के हुए थे शिकार

आपको बता दें कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें कई खतरनाक चोट के साथ-साथ कोरोना जैसी गंभीर बीमारी का भी शिकार होना पड़ा बावजूद इसके इन्होंने हार नहीं मानी. ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत कर देश का मान बढ़ाया.

Posted By: Sumit Kumar Verma

Prabhat Khabar Digital Desk
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