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गणतंत्र दिवस की मनमोहक झांकियों का क्या है राज, किन वाहनों का होता है इस्तेमाल?

झांकियां नई दिल्ली के इंडिया गेट और कर्तव्यपथ पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं. गणतंत्र दिवस परेड के दौरान ये झांकियां जब राष्ट्रपति भवन के सामने से कर्तव्यपथ पर होकर गुजरती हैं.

नई दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली के कर्तव्यपथ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित होने वाले परेड के दौरान एक से बढ़कर एक मनमोहक झांकियां पेश की जाती हैं. ये झांकियां देश के विभिन्न राज्यों के कलाकारों की ओर से एक विशेष थीम पर तैयार की जाती हैं. इंडिया गेट पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा तिरंगा झंडा फहराए जाने के बाद इन झांकियों का प्रदर्शन किया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ये झांकियां कैसे बनती हैं, इसकी प्रक्रिया क्या है और ये किन-किन वाहनों पर प्रदर्शित की जाती हैं? आइए, इन झांकियों को लेकर कुछ रोचक बातों को जानते हैं.

झांकियों का कैसे किया जाता है चयन

झांकियां नई दिल्ली के इंडिया गेट और कर्तव्यपथ पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं. गणतंत्र दिवस परेड के दौरान ये झांकियां जब राष्ट्रपति भवन के सामने से कर्तव्यपथ पर होकर गुजरती हैं, तब यह भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विविध संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करती हैं. झांकियों के चयन की एक बड़ी प्रक्रिया है. इसका चयन विशेषज्ञों की एक समिति करती है, जिसमें कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, कोरियोग्राफी आदि जैसे विभिन्न विषयों के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होते हैं. विशेषज्ञों के पैनल का निर्देशन रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है. इसके लिए सरकार को लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त होते हैं, लेकिन विशेषज्ञ समिति द्वारा बैठकों में उनका मूल्यांकन किया जाता है. ये बैठकें कई दौर की होती हैं. इसके लिए हर साल सितंबर महीने से ही इसके आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.

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प्रस्तावों की कैसे होती है जांच

गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाली झांकियों के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से दिए गए प्रस्तावों की जांच उसके थीम, कॉन्सेप्ट, डिजाइन और सुंदरता के आधार पर की जाती है. इसके चयन और मूल्यांकन की प्रक्रिया कई चरणों में पूरा की जाती है. पहले इसके स्केच, डिजाइन और प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है. इसके लिए विशेषज्ञों की समिति के साथ राज्य, केंद्रशासित प्रदेश, विभाग और मंत्रालयों के बीच कई दौर की बातचीत होती है. इसके बाद झांकियों के थ्री-डाइमेंशन मॉडल के साथ इसका समापन होता है. चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण से पहले विजुअल अपील, जनता पर पड़ने वाला प्रभाव, थीम और इसके संगीत की जांच की जाती है. अगर सरकार के मानकों के आधार पर झांकियों का प्रस्ताव फिट नहीं बैठता है, तो प्रस्ताव को खारिज भी कर दिया जाता है.

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झांकियों के लिए किन वाहनों का होता है इस्तेमाल

गणतंत्र दिवस परेड के दौरान दिल्ली के कर्तव्यपथ पर झांकियों के खींचने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि झांकियों को बड़े-बड़े ट्रेलरों पर सजाया जाता है. इन ट्रेलरों को खींचने के लिए इनके आगे-पीछे और बीच में ट्रैक्टरों को रखा जाता है. झांकियों को मोड़ने या घुमाने के लिए ट्रैक्टर और ट्रेलर के बीच या दो ट्रेलरों के बीच करीब 6 से7 फीट का अंतर होता है. झांकी को डिजाइन करते समय इस बात का खास ख्याल रखा जाता है. झांकियों को सजाने और कर्तव्यपथ पर प्रदर्शित करने के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कलाकारों को ट्रैक्टर और ट्रेलर उपलब्ध कराए जाते हैं. इसके लिए रक्षा मंत्रालय की अनुमति और निगरानी के बिना प्राइवेट वाहनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

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इस साल किन-किन राज्यों की दिखेंगी झांकियां

26 जनवरी 2024 को कर्तव्यपथ पर होने वाली इस परेड में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, ओडिशा, मणिपुर, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गोवा, मेघालय, लद्दाख, कर्नाटक, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, असम, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश की झांकियां शामिल होंगी. इसके अलावा, केंद्र सरकार के कई मंत्रालय भी इस परेड में शामिल होंगे. इसके साथ ही भारतीय थल, जल और वायु सेना समेत अर्धसैनिक बलों की कई टुकड़ियां इस परेड में देश की ताकत को दिखाएंगी.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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