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बाजार में नहीं चली चीन की दादागिरी, दुकानदारों के बहिष्कार से घटी चीन राखियों की बिक्री

नयी दिल्ली: डोकलाम विवाद को लेकर चीन भले ही भारत पर अपनी दादागिरी या फिर धौंस दिखा रहा हो, लेकिन यहां के बाजारों पर उसका जोर नहीं चलता़ सिक्किम के सीमा विवाद के बीच खबर यह भी है कि इस बार रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर घरेलू बाजारों में चीन के निर्मित राखियों का जमकर […]

नयी दिल्ली: डोकलाम विवाद को लेकर चीन भले ही भारत पर अपनी दादागिरी या फिर धौंस दिखा रहा हो, लेकिन यहां के बाजारों पर उसका जोर नहीं चलता़ सिक्किम के सीमा विवाद के बीच खबर यह भी है कि इस बार रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर घरेलू बाजारों में चीन के निर्मित राखियों का जमकर बहिष्कार किया गया है़ यही वजह है कि इस साल रक्षाबंधन में चीनी राखियों कीबिक्री भारतीय बाजारों में घटी है़ आलम यह कि चीन की राखियों को टक्कर देने के लिए यहां के निर्माताओं ने ही रंग-बिरंगी और आधुनिक तकनीक से लबरेज राखियों को बनाकर बाजार में ग्राहकों के सामने पेश किया़

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, चीन की दादागिरी का असर इस साल राखियों के बाजार पर भी नजर आया़ बताया यह जा रहा है कि बाजार से चीन की राखियां लगभग गायब ही हो गयीं. यहां के दुकानदारों ने न तो वहां से राखियों की खरीद की और न ही उसकी बिक्री़ इसके साथ ही, बताया यह भी जा रहा है कि राखी के बाजार में जीएसटी और नोट बंदी का भी असरदेखने को मिला है़ इस कारण यहां राखियों की बिक्री में कमी आयी है.

गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर चीन के उत्पादों के बहिष्कार की चल रही मुहिमकाअसर भारत के बाजारोंपरदिखना शुरू हो गया है़ भारत के कारोबारियों और दुकानदारों का मानना है कि शायद जनभावना के कारण या फिर देशभक्ति की वजह से चीनी राखियां इस साल बाजार से गायब हैं. भारत में बनी राखियों से बाजार सजा रहा और उनकी अच्छी बिक्री हुई. सीमा पर चीन की नापाक हरकतों का पता देश के हर तबके को है और शायद इसीलिए इस बार अमीर हो या गरीब सबने सिर्फ भारतीय धागों में पारंपरिक और आधुनिक राखियों की खरीद की़

भारत के बाजारों में कुछ दुकानदार पटरियां लगाकर, एलईडी जड़ित चमकीली राखियां, और सिंपल नग जड़ित धागे वाली चीनी राखियों की बिक्री की कोशिश तो की, लेकिन ऐसे दुकानदारों की बिक्री पर प्रतिकूल असर ही देखने को मिला़ बाजार में इस बात की चर्चा भी जोरों पर रही कि भारतीय त्योहारों की नब्ज पकड़कर चीन हर तरह के सस्ते सामानका निर्माण करता है, ताकि भारत के बाजारों को प्रभावित किया जा सके़ राखी के कारोबार करने वालों का यह मानना है कि इस बार कोलकाता, राजकोट, गुजरात व मुुंबई से राखियां मंगवाई गयीं.खबर यह भी है कि इस साल राखीकेत्योहार के लिए चीन से राखियों का आयात हीबहुतकम किया गया़

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