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FM जेटली को अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने का भरोसा, निजी निवेश का नहीं आना बड़ी चुनौती

नयी दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली को सुस्ती की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को जल्दी ही पटरी पर आने का भरोसा है. इसके साथ ही, उन्होंने इसे पटरी पर लाने के लिए सही समय पर उपयुक्त कदम उठाने का वादा भी किया है. उन्होंने कहा कि सरकार निजी निवेश के गति नहीं पकड़ने की समस्या […]

नयी दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली को सुस्ती की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को जल्दी ही पटरी पर आने का भरोसा है. इसके साथ ही, उन्होंने इसे पटरी पर लाने के लिए सही समय पर उपयुक्त कदम उठाने का वादा भी किया है. उन्होंने कहा कि सरकार निजी निवेश के गति नहीं पकड़ने की समस्या को समझ रही है. आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री इस समय अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर योजना तैयार करने में जुटे हैं. जेटली ने कहा कि रीयल एस्टेट सेक्टर को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जा सकता है.

एक निवेशक बैठक में जेटली की कही बातों को वित्त मंत्रालय ने ट्विटर के जरिये बताया है. जेटली ने कहा कि पहले दिन से यह सरकार सक्रियता से काम कर रही है. हम आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण कर रहे हैं और सही समय पर उपयुक्त कदम उठाये जायेंगे. निजी निवेश के रफ्तार नहीं पकड़ने की समस्या को स्वीकार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार मसले को समझ रही है. जल्दी ही आप हमारी तरफ से इस बारे में कुछ सुनने को मिलेगा.

इसे भी पढ़ेंः जीएसटी अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार : जस्टिस मिश्रा

दो साल पहले आर्थिक नरमी से प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक आकर्षक स्थल था. जीडीपी वृद्धि दर के मामले में चीन से भी आगे निकल गया था, लेकिन 2016 की शुरुआत से लगातार छह तिमाहियों में वृद्धि दर घटी है और चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में यह तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 फीसदी पर आ गयी. यह लगातार दूसरी तिमाही है, जब भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि वाले देश के मामले चीन से पीछे रहा.

जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट के अलावा निर्यात के समक्ष चुनौतियां हैं और औद्योगिक वृद्धि पांच साल में न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी. चालू खाते का घाटा (कैड) अप्रैल-जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.4 फीसदी रहा. वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि पिछले कुछ साल में एक राष्ट्र के रूप में भारत का भरोसा शानदार तरीके से बढ़ा है और चाहे जीएसटी लागू करने की बात हो या सब्सिडी को सभी लाभार्थियों तक पहुंचाने की बात, मौजूदा सरकार ने तेजी से फैसले किये. उन्होंने कहा कि सरकार जीएसटी के बाद मुद्रास्फीति प्रभाव को काबू में रखने में सफल रही है.

जेटली ने कहा कि जहां तक और जिंसों को जीएसटी के दायरे में लाने का सवाल है. मुझे लगता है कि रीयल एस्टेट को लाना ज्यादा आसान है. जहां तक कालाधन और बेनामी लेन-देन का सवाल है. जेटली ने कहा कि अधिक नकदी में लेन-देन भारत में सुरक्षित नहीं है.

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