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भारत की निपट गरीबी अब बनने वाली है इतिहास

नयी दिल्लीः विश्वबैंक ने गुरुवार को कहा कि सरकार की ओर से सुधार की दिशा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा ऐसे अन्य कदमों की बदौलत भारत 2047 तक उच्च-मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था बन जायेगा. विश्वबैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) क्रिस्टालीना जॉर्जिएवा ने कारोबार सुगमता संबंधी विश्वबैंक की रैंकिंग में देश के 30 […]

नयी दिल्लीः विश्वबैंक ने गुरुवार को कहा कि सरकार की ओर से सुधार की दिशा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा ऐसे अन्य कदमों की बदौलत भारत 2047 तक उच्च-मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था बन जायेगा. विश्वबैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) क्रिस्टालीना जॉर्जिएवा ने कारोबार सुगमता संबंधी विश्वबैंक की रैंकिंग में देश के 30 पायदान उछाल के कुछ एक दिन बाद ही यह बात कही है. उन्होंने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर चार गुना होने को एक असाधारण उपलब्धि बताया और इसका श्रेय देश में पिछले तीन दशक के सुधारों को दिया. उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि अब ऐसी परिस्थितियां बन चुकी हैं, जहां देश में निपट गरीबी की बात बहुत जल्दी ही इतिहास का विषय होने वाली है.

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क्रिस्टालीना ने कारोबार सुगमता रिपोर्ट में 100वां स्थान हासिल करने को लेकर भी भारत की तारीफ करते हुए कहा कि 15 साल पहले इस रिपोर्ट की शुरुआत के बाद से इस तरह की छलांग विरली ही है. उन्होंने कहा कि यह जब हम भारत के विशाल आकार पर गौर करते हैं, तो यह उपलब्धि विशेष रूप से और भी विरली हो जाती है. उन्होंने कहा कि मैं समझ सकती हूं कि क्रिकेट प्रेमी इस देश के लिए शतक जड़ना एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा यहां आयोजित इंडियाज बिजनेस रिफॉर्म कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सफलता के लिए जरूरी है कि उच्च स्तर पर उसे अपनाने और आगे बढ़ाने वाले हों. हमने सीखा हैं कि सुधारों के लिए धैर्य की जरूरत होती है. हमने भारत के बारे में हमारी मान्यता है कि आज की ये सफलताएं भविष्य के सुधारों के लिए और अधिक ऊर्जा के रूप में काम आएंगी.

विश्वबैंक की अधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुधार की कोशिशों की सराहना करते हुए कहा कि जीएसटी ने भारत के सामने एकीकृत समान बाजार के जरिये तेजी से वृद्धि का अनोखा अवसर पैदा किया है. उन्होंने कहा कि सुधारों का असर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर दिखने लगा है. एफडीआई 2013-14 के 36 अरब डॉलर से बढ़कर 60 अरब डॉलर हो गया है.

जॉर्जिएवा ने कहा कि ढांचागत निर्माण, मानव संसाधन में निवेश और सहयोगी एवं प्रतिस्पर्धी संघवाद देश की भविष्य की प्रगति का आधार बनेगा. उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि अब ऐसी परिस्थितियां बन चुकी हैं, जहां देश में निपट गरीबी की बात बहुत जल्दी ही इतिहास का विषय होने वाली है. इसके लिए 2026 का लक्ष्य तय किया गया था.

मुझे लगता है कि मोदी इसे 2022 तक में ही करना चाहते हैं. अभी तक के प्रदर्शन को देखते हुए लगता है कि इसे भी पाना संभव है. उन्होंने आगे कहा कि मुझे इसमें भी कोई शक नहीं कि जब भारत 2047 में आजादी की स्वर्णजयंती मना रहा होगा, अधिकांश भारतीय वैश्विक मध्यम वर्ग का हिस्सा होंगे. भारत तब एक उच्च मध्यम आय वाला देश होगा.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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