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नोटबंदी, जीएसटी का प्रभाव पीछे छूटा, अब वृद्धि पर है नजर : अरुण जेटली

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि संरचनात्मक सुधारों का प्रभाव अब पीछे छूट चुका है, अब शुरुआती आर्थिक संकेतक सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नोटबंदी जैसे संरचनात्मक सुधारों तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को पेश करने के कुछ प्रभाव रहे हैं, लेकिन दीर्घावधि […]

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि संरचनात्मक सुधारों का प्रभाव अब पीछे छूट चुका है, अब शुरुआती आर्थिक संकेतक सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नोटबंदी जैसे संरचनात्मक सुधारों तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को पेश करने के कुछ प्रभाव रहे हैं, लेकिन दीर्घावधि में इनसे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा. वित्त मंत्री ने यहां इंडिया टुडे कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए कहा, हमने दो प्रमुख संरचनात्मक सुधार किये हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.

उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना है कि इनका प्रभाव अब पीछे छूट चुका है. भविष्य के लिए शुरुआती संकेतक काफी सकारात्मक दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन महीने में खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) आंकड़े काफी सकारात्मक रहे हैं. इसी तरह औद्योगिक उत्पादन तथा बुनियादी क्षेत्र की वृद्धि दर भी बेहतर रही है. ये कुछ शुरुआती संकेतक हैं, जो संभवत: एक सुधरी हुई स्थिति की ओर इशारा करते हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. सरकार ने कहा था कि नोटबंदी का मकसद भ्रष्टाचार, कालेधन, आतंकवाद और जाली मुद्रा पर लगाम लगाना है. जेटली ने नोटबंदी से वृद्धि प्रभावित होने की आलोचनाओं पर कहा कि यदि आपके पास संरचनात्मक सुधारों के लिए क्षमता साहस या मजबूती नहीं है तो यथास्थिति की बनी रहेगी. भारत में जो जैसा है वैसा ही चलने दो की जो स्थिति थी, मेरे हिसाब वह सही स्थिति नहीं थी.

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत तीन साल से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में था और इस तरह के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए यह उपयुक्त समय था. अन्यथा मेरे पूर्ववर्तियों ने आपको संरचनात्मक सुधारों को जो एकमात्र विकल्प दिया था वह सिर्फ नीतिगत मोर्चे पर लाचारी की स्थिति थी. मैं ऐसा नहीं चाहता था.

उन्‍होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.7 प्रतिशत पर आ गयी है. यह 2014 के बाद की सबसे निचली वृद्धि दर है. नोटबंदी से करीब 86 प्रतिशत करेंसी चलन से बाहर हो गयी थी, जिससे नकद कारोबार करने वाली इकाइयां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं. इसके अलावा एक जुलाई को जीएसटी को लागू किये जाने के बाद से लघु एवं मझोले उपक्रम प्रभावित हुए हैं.

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