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ONGC के तेल एवं गैस फील्ड को बेचने की योजना पर पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग

नयी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्रालय की ओएनजीसी के उत्पादन वाले तेल एवं गैस फील्ड को बेचने की योजना पर रोक लगाने को लेकर ओएनजीसी के अधिकारियों के संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है. उनका कहना है कि यह कदम देश के लिए नुकसानदायक होगा. एसोसिएशन आफ साइंटिफिक एंड टेक्निकल आॅफिसर्स […]

नयी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्रालय की ओएनजीसी के उत्पादन वाले तेल एवं गैस फील्ड को बेचने की योजना पर रोक लगाने को लेकर ओएनजीसी के अधिकारियों के संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है. उनका कहना है कि यह कदम देश के लिए नुकसानदायक होगा. एसोसिएशन आफ साइंटिफिक एंड टेक्निकल आॅफिसर्स एसोसिएशन (एएसटीओ) ने इस संदर्भ में 1990 के दशक में निजी हाथों में सौंप दिये गये पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र के पन्ना : मुक्ता और रिलायंस इंडस्टरीज के केजी-डी6 क्षेत्र में उत्पादन में गिरावट का उदाहरण दिया. उसने कहा कि ओएनजीसी अपने पुराने क्षेत्रों में बेहतर कर रही है.

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एएसटीओ के अध्यक्ष संजय गोयल ने 23 नवंबर को मोदी को लिखे पत्र में कहा कि ओएनजीसी का अधिकतर तेल एवं गैस क्षेत्रों से 30 साल से उत्पादन जारी है और उच्च स्तर से उत्पादन घटा है, लेकिन अभी भी घरेलू उत्पादन में इसकी अच्छी-खासी हिस्सेदारी है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने ओएनजीसी तथा आॅयल इंडिया लिमिटेड के 15 उत्पादक तेल एवं गैस फील्ड की पहचान की है, जिसे उत्पादन बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों को सौंपा जायेगा. इन क्षेत्रों में 79.12 करोड़ टन कच्चे तेल तथा 333.46 अरब घन मीटर गैस का भंडार अनुमानित है.

गोयल ने लिखा है कि ओएनजीसी से लिये गये और निजीकरण किये गये पन्ना-मुक्ता फील्ड में उत्पादन लगातार घट रहा है. वास्तव में वर्ष 2009-10 से इस क्षेत्र से उत्पादन में 60 फीसदी की गिरावट आयी. साथ ही, एस्सार आॅयल के दिये गये रत्ना-आर सीरीज क्षेत्रों से दो दशक तक उत्पादन नहीं किया जा सका और अब उसे ओएनजीसी को वापस कर दिया गया. इससे स्पष्ट है कि किसी भी हाइड्रोकार्बन संपत्ति से उत्पादन बढ़ाने के लिए उसका निजीकरण करना ही एकमात्र शर्त नहीं है.

गोयल के अनुसार, अगर उत्पादन में स्थिरता या कमी के आधार पर निजीकरण के लिए ओएनजीसी के फील्डों को चिह्नित किया गया है, तो यह मानदंड सभी घरेलू फील्डों पर लागू होना चाहिए. उन्होंने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का केजी-डी6 में उत्पादन लक्षित उत्पादन का 10 फीसदी है. 10 साल से भी कम पुराने तेल-गैस क्षेत्र में उत्पादन में गिरावट चौंकाने वाली है. ओएनजीसी के मौजूदा तेल-गैस क्षेत्रों को निजी कंपनियों को सौंपे जाने की योजना के मामले में गोयल ने प्रधानमंत्री से निजी तौर पर हस्तक्षेप का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि यह न केवल देश के लिए नुकसानदायक होगा, बल्कि कर्मचारियों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा, जो देश हित में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि ओएनजीसी नयी प्रौद्योगिकी में भारी निवेश कर रही है और पुराने फील्डों से उत्पादन बढ़ाने के लिए काफी काम कर रही है.

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