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अभी कम नहीं होंगे पेट्रोल- डीजल के दाम , पढ़ें क्या कह रही है सरकार

नयी दिल्ली : पिछले चार सालों में पेट्रोंल की कीमत सबसे ऊपर है. फिलहाल आपके लिए राहत की खबर नहीं है. सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल के दाम पर राहत के लिए उत्पाद शुल्क में किसी प्रकार की कटौती की संभावनाओं पर इनकार कर दिया. वैश्विक बाजार में नरमी के दौरान भी सरकार ने […]

नयी दिल्ली : पिछले चार सालों में पेट्रोंल की कीमत सबसे ऊपर है. फिलहाल आपके लिए राहत की खबर नहीं है. सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल के दाम पर राहत के लिए उत्पाद शुल्क में किसी प्रकार की कटौती की संभावनाओं पर इनकार कर दिया. वैश्विक बाजार में नरमी के दौरान भी सरकार ने राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के बीच उत्पाद शुल्क में नौ बार वृद्धि की.

उत्पाद शुल्क में कटौती से इनकार
उत्पाद शुल्क में कटौती से आम लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती थी लेकिन इस वित्त सचिव हसमुख अढ़िया ने स्पष्ट कर दिया की फिलहाल उत्पाद शुल्क में किसी प्रकार की कटौती का कोई फैसला नहीं लिया गया है. जब भी हम इसकी समीक्षा करेंगे. इसकी जानकारी आपको मिल जायेगी.

क्या कह रही है सरकार
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमत पर चिंता व्यक्त करते हुए सामाधान की तरफ भी इशारा किया उन्होंने कहा, सरकार का प्रयास जल्द ही इन्हें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का है. यदि ऐसा होता है, तो दोनों ईंधन अपने आप सस्ते हो जाएंगे.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भारत स्टेज (बीएस) छह मानक के पेट्रोल और डीजल की बिक्री शुरू करने के बाद पत्रकारों से बातचीत के क्रम में प्रधान ने कहा कि दोनों ईंधनों की कीमत बढ़ने पर सरकार भी उतनी ही चिंतित है, जितना की जनता परेशान है. लेकिन इनकी कीमत कम करने के लिए तत्काल कुछ नहीं किया जा सकता है.
क्या है उपाय
पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में लाने की कोशिश धीरे-धीरे रंग लाती नजर आ रही है. इस विषय पर पहले जीएसटी परिषद कोई बात सुनने को तैयार नहीं था, लेकिन अब इस पर चर्चा की सहमति बढ़ रही है. प्रधान ने कहा कि हमने अपील की है कि जीएसटी परिषद में इससे संबंधित प्रस्ताव लाकर इसे पारित कराया जाए. सरकार के लिए ग्राहकों का हित सबसे पहले है, लेकिन उसे सभी पक्ष को देखना पड़ता है.
समझ लीजिए क्यों बढ़ रही है पेट्रोल की कीमत
अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में लगातार कीमत में बढोत्तरी हो रही है. ईंधन कीमत निर्धारण पारदर्शी प्रणाली पर आधारित है और भाव में तेजी का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम का चढ़ना है.’जब तेल के दाम चढ़ते हैं तो इसका सीधा असर महंगाई पर भी पड़ता है. पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क का 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों का होता है जबकि 60 फीसद केंद्र की तरफ से राज्यों में विकास योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी के रूप में दिया जाता है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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