21.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बैंकों के NPA संकट में रिजर्व बैंक की जवाबदेही को लेकर CAG ने उठाये सवाल

नयी दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) राजीव महर्षि ने मंगलवार को बैंकों के मौजूदा एनपीए संकट में रिजर्व बैंक की भूमिका को लेकर सवाल उठाया है. महर्षि ने पूछा कि जब बैंक भारी मात्रा में कर्ज दे रहे थे, जिससे संपत्ति और देनदारियों में असंतुलन पैदा हुआ तथा कर्ज फंस गये (एनपीए […]

नयी दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) राजीव महर्षि ने मंगलवार को बैंकों के मौजूदा एनपीए संकट में रिजर्व बैंक की भूमिका को लेकर सवाल उठाया है. महर्षि ने पूछा कि जब बैंक भारी मात्रा में कर्ज दे रहे थे, जिससे संपत्ति और देनदारियों में असंतुलन पैदा हुआ तथा कर्ज फंस गये (एनपीए हो गए), तो बैंकिंग क्षेत्र का नियामक आरबीआई क्या कर रहा था? सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बैंकिंग क्षेत्र की गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) यानी फंसा कर्ज 2017- 18 की समाप्ति पर 9.61 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.

इसे भी पढ़ें : बैंकों के लिए मुश्किल भरे होंगे आने वाले साल, एनपीए से आगे बढ़कर सोचने की जरूरत

महर्षि ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के मौजूदा संकट में हम सभी यह चर्चा कर रहे हैं कि इस समस्या निदान क्या हो सकता है. बैंकों में नयी पूंजी डालना, इसका निदान बताया गया है, लेकिन यह सब्सिडी (राज्य सहायता) के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अजीब शब्द है, लेकिन कोई यह वास्तविक सवाल नहीं पूछ रहा है कि वास्तव में नियामक (रिजर्व बैंक) क्या कर रहा था. उसकी भूमिका क्या है, उसकी जवाबदेही क्या है?

महर्षि यहां ‘भारतीय लोक नीति विद्यालय’ (आईएसएसपी) के कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान बैंकिंग संकट की सबसे बड़ी वजह बड़ी मात्रा में संपत्ति (बैंकों द्वारा दिये गये ऋण या बैंकों की लेनदारी) और बैंकों की देनदारी के बीच असंतुलन होना है, लेकिन इस बारे में कोई बात नहीं कर रहा, इस मामले में सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि भारत में एक हरे भरे बॉन्ड बाजार की कमी है. इसी कारण बैंकों को बैंकों को लंबी अवधि वाली ढांचागत परियोजनाओं के लिए कर्ज देने पर मजबूर होना पड़ता है और जब ये परियोजनाएं किसी अड़चन में फंस जातीं हैं, तो उनकी समस्या का असर बैंकों पर भी पड़ता है.

कैग ने यह भी कहा कि बैंकिंग संकट की मूल वजह को लेकर सार्वजनिक रूप से बहस की भी कमी दिखायी देती है. इसमें नियामक की भूमिका को लेकर कोई भी न तो बात कर रहा है और न ही कोई लिख रहा है. उन्होंने कहा कि बैंकों में खुद के स्तर पर कुप्रबंध और जनता के धन की चोरी आज बैंकिंग क्षेत्र के मौजूदा हालात के पीछे बड़ी वजह बताये जा रहे हैं, लेकिन इसमें इससे भी आगे बहुत कुछ है, जिसे समझना काफी जटिल है. बैंकों की 31 मार्च, 2018 की स्थिति के मुताबिक 9.61 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए में केवल 85,344 करोड़ रुपये कृषि और संबंधित क्षेत्र का है, जबकि 7.03 लाख करोड़ रुपये की मोटी राशि औद्योगिक क्षेत्र को दिये गये कर्ज से जुड़ी है.

इस अवसर पर 14वें वित्त आयोग के चेयरमैन और पूर्व राजस्व सचिव एनके सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार अकेले अपने बलबूते आर्थिक क्षेत्र में चीजों को दुरुस्त नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधार अकेले केंद्र सरकार द्वारा नहीं किये जा सकते हैं. उदाहरण के तौर पर श्रम सुधार और भूमि सुधार के मामलों को राज्य सरकार के कौशल पर छोड़ दिया गया है कि आर्थिक सुधारों के लिए उन्हें कौन से बदलाव ठीक लगते हैं और क्या कानून बनना चाहिए. ‘दि इंडियन सकूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी’ अपना पहला पढ़ाई सत्र 2019 से शुरू करेगा. इसमें लोक नीति, डिजाइन और प्रबंधन के पेशेवरों के लिए पाठ्यक्रम चलाये जायेंगे.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel