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रिपोर्ट : वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा निर्धारित लक्ष्य से 0.4 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान

मुंबई : सरकार एक बार फिर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पायेगी. एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य के मुकाबले 0.4 फीसदी अधिक रहने की आशंका है और अगले साल के लिए इसका लक्ष्य बढ़ाकर 3.5 फीसदी रखे जाने का अनुमान है. विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बैंक […]

मुंबई : सरकार एक बार फिर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पायेगी. एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य के मुकाबले 0.4 फीसदी अधिक रहने की आशंका है और अगले साल के लिए इसका लक्ष्य बढ़ाकर 3.5 फीसदी रखे जाने का अनुमान है. विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है.

इसे भी पढ़ें : राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी रहने का अनुमान, कुल व्यय 24.42 लाख करोड़ रुपये

रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया जा सकता है. रिपोर्ट अनुमान व्यक्त किया गया है कि सरकार वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 फीसदी रखेगी, जबकि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 3.3 फीसदी से बढ़कर 3.7 फीसदी रहने का अनुमान है. यह तय लक्ष्य से 0.4 फीसदी अधिक होगा.

सरकार ने 2018- 19 में राजकोषीय घाटा देश की जीडीपी का 3.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इससे पिछले वर्ष 3.2 फीसदी के बजट अनुमान के मुकाबले यह संशोधित अनुमान में 3.5 फीसदी पर पहुंच गया था. यहां उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार अपने कार्यकाल के दौरान ज्यादातर राजकोषीय समय राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पायी है. सिर्फ वित्त वर्ष 2014-15 में राजकोषीय घाटा लक्ष्य से मामूली बेहतर रहा था. शेष वर्षों में सरकार मामूली अंतर से इन लक्ष्यों को हासिल करने से पीछे रह गयी.

चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक सरकार ने बजट में तय बाजार उधारी का 115 फीसदी खर्च कर लिया था. वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह कम रहने तथा विनिवेश के मोर्चे पर खराब प्रदर्शन की वजह से यह स्थिति बनी है. विनिवेश के 80,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के समक्ष सरकार अब तक सिर्फ 15,000 करोड़ रुपये ही जुटा पायी है.

हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार संभवत: घाटे को पूरा करने के लिए और कर्ज नहीं लेगी और इस अंतर की भरपाई रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध सरकार की बकाया राशि से की जायेगी, जो मार्च, 2018 के अंत में 1,675 अरब रुपये था.रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सरकार की शुद्ध उधारी वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर 5,070 अरब रुपये रहेगी.

यहां गौरतलब है कि बजटीय लक्ष्य पार जाने के बावजूद सरकार लगातार कह रही है कि वह वित्त वर्ष 2018-19 के 3.3 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार आगामी एक फरवरी को आम चुनाव से पहले अंतिम बजट में ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएं दूर करने का प्रयास करेगी. इनमें ब्याज सहायता-प्रत्यक्ष धन अंतरण आदि उपाय शामिल हो सकते हैं.

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