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गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने मछुआरों को दी सबसे ज्यादा सब्सिडी

नयी दिल्ली : गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने 2018-19 के दौरान अपने मछुआरों को सबसे अधिक सब्सिडी दी है. भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को यह जानकारी दी है. इन राज्यों ने विभिन्न कार्यक्रमों के तहत मछुआरों को यह सब्सिडी दी है. इसमें मछुआरों की सुरक्षा और केरोसिन के लिए दी गयी […]

नयी दिल्ली : गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने 2018-19 के दौरान अपने मछुआरों को सबसे अधिक सब्सिडी दी है. भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को यह जानकारी दी है. इन राज्यों ने विभिन्न कार्यक्रमों के तहत मछुआरों को यह सब्सिडी दी है. इसमें मछुआरों की सुरक्षा और केरोसिन के लिए दी गयी सब्सिडी शामिल है. इन राज्यों ने नौ परिवहन सहायता, हाई स्पीड डीजल पर बिक्री कर, परंपरागत नौकाओं में मोटर लगाने, मछली पकड़ने वाली नौकाओं के लिए डीजल की खरीद पर बिक्री कर वापसी और औद्योगिक केरोसिन पर बिक्री कर छूट के रूप में अपने मछुआरों को सब्सिडी दी है.

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भारत द्वारा डब्ल्यूटीओ को दिये गये आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने मछुआरों को क्रमश: 247.4 करोड़ रुपये, 243.6 करोड़ रुपये, 180 करोड़ रुपये और 109 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है. जिन अन्य राज्यों और संघ शासित प्रदेशों ने अपने मछुआरों को सब्सिडी दी है, उनमें महाराष्ट्र (54.7 करोड़ रुपये), केरल (41.9 करोड़ रुपये), गोवा (16.5 करोड़ रुपये), पश्चिम बंगाल (8.4 करोड़ रुपये) और ओड़िशा (3.3 करोड़ रुपये) शामिल हैं. संघ शासित प्रदेशों में अंडमान निकोबार, दमन एवं दीव और पुडुचेरी शामिल हैं.

ये आंकड़े इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं कि कुछ विकसित देश चाहते हैं कि इस तरह की सब्सिडी को समाप्त किया जाये. वहीं, भारत जैसा विकासशील देश अपने कम आय और संसाधन की कमी वाले किसानों को संरक्षण प्रदान करना चाहता है. डब्ल्यूटी नियमों के तहत संगठन के सदस्यों को इस प्रकार की सब्सिडी के बारे में जानकारी देनी होती है और उसे अधिसूचित कराना होता है. भारत 1995 से ही डब्ल्यूटीओ का सदस्य देश है.

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