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नयी शराब नीति को लेकर कमलनाथ और शिवराज के बीच वाक्युद्ध शुरू

भोपाल : मध्यप्रदेश में खुलने वाली शराब की उप दुकानों को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच वाक्युद्ध चल रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को ही भाजपा उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान के पत्र का जवाब देते हुए आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान प्रदेश में अधिकतम शराब की दुकानें खोली गयी थीं. चौहान ने […]

भोपाल : मध्यप्रदेश में खुलने वाली शराब की उप दुकानों को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच वाक्युद्ध चल रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को ही भाजपा उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान के पत्र का जवाब देते हुए आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान प्रदेश में अधिकतम शराब की दुकानें खोली गयी थीं.

चौहान ने शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश सरकार द्वारा शराब की उप दुकानें खोलने के फैसले का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि यह आम जनता विशेषतौर पर महिलाओं के लिए समस्याएं पैदा करेगा. पत्र में चौहान ने लिखा कि कांग्रेस सरकार के निर्णय के कारण प्रदेश में 2000 से 2500 शराब की नयी दुकानें खुलेंगी, जिसके परिणामस्वरूप अपराध, विशेषकर महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ेगा.

कमलनाथ ने शुक्रवार रात को ही चौहान को उत्तर देते हुए लिखा कि वास्तव में सच यह है कि भाजपा के पिछले शासन के दौरान ही प्रदेश में सबसे अधिक शराब की दुकानें खोली गयीं. कमलनाथ ने चौहान के दावे को आधारहीन बताते हुए कहा कि चौहान ने संभवत: उप दुकानों को खोलने के संबंध में अधिसूचित नीति का अब तक अध्ययन नहीं किया है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि नयी नीति के तहत कोई नयी दुकान नहीं खुल रही है, अन्यथा मूल दुकान का लाइसेंसी यदि चाहें, तो कुछ शर्तों के तहत मूल दुकान के साथ उसकी उप दुकान खोल सकता है, जिससे आबकारी अपराधों पर अकुंश लगेगा. पिछली भाजपा सरकार के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कमलनाथ ने कहा कि 2003-04 में जो कांग्रेस की दिग्विजय सरकार का आखिरी वित्तीय वर्ष था, तब प्रदेश में 2221 देसी तथा 581 विदेशी शराब की दुकानें थीं, जो भाजपा के शासन में 2010-11 में बढ़कर देसी 2770 और विदेशी शराब की 981 दुकानें हो गयीं. इस प्रकार, यह साफ है कि 2003-04 में प्रदेश में शराब के दुकान की कुल संख्या 2792 थी, जो 2010-11 में बढ़कर 3683 हो गयीं.

कमलनाथ ने कहा कि नयी आबकारी नीति द्वारा वैध व्यावसायिक गतिविधियों के सरल संचालन से माफिया गतिविधियों को नियंत्रित किया जायेगा. मुख्यमंत्री के पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शनिवार को चौहान ने संवाददाताओं से कहा कि इस तरह के व्यावसायिक फैसलों से यदि माफिया को नियंत्रित किया जा सकता है, तो उन्हें हर गांव में शराब की दुकान खोल देनी चाहिए. यहां तक कि शराब की घर-घर पहुंच सेवा शुरू कर देना चाहिए.

उन्होंने कहा कि शराब की नयी दुकानें खोलने का फैसला प्रदेश के लिए विनाशकारी साबित होगा और जनता के हित में इसे वापस लिया जाना चाहिए. प्रदेश सरकार ने गुरुवार की रात को जारी अधिसूचना में प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में लाइसेंस शुल्क के भुगतान पर शराब की उप दुकानें खोलने का फैसला किया है.

दरअसल, इस वक्त प्रदेश सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है और सरकार इस कदम से राजस्व को बढ़ावा चाहती है. आदेश के अनुसार, लाइसेंस शुल्क के कुछ प्रतिशत का भुगतान करने के बाद वर्तमान शराब दुकान मालिक शहरी क्षेत्रों में मौजूदा दुकान से पांच किलोमीटर की दूरी और ग्रामीण इलाकों में 10 किलोमीटर की दूरी पर शराब की उप दुकान खोल सकते हैं.

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