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”मेक इन इंडिया” जैसे कार्यक्रमों से गरीबी होगी खत्‍म : प्रणब मुखर्जी

नयी दिल्‍ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अब हमारा लक्ष्य गरीबी कम करना नहीं बल्कि गरीबी समाप्त करना है. गरीबी कम करने के लिये खेती-बाडी के अलावा दूसरे क्षेत्रों में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा करने की जरुरत है. राष्ट्रपति ने रोजगार को गरीबी से निपटने का सबसे कारगर औजार बताया. ‘आजीविका […]

नयी दिल्‍ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अब हमारा लक्ष्य गरीबी कम करना नहीं बल्कि गरीबी समाप्त करना है. गरीबी कम करने के लिये खेती-बाडी के अलावा दूसरे क्षेत्रों में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा करने की जरुरत है. राष्ट्रपति ने रोजगार को गरीबी से निपटने का सबसे कारगर औजार बताया.

‘आजीविका की सुरक्षा’ विषय पर आज राजधानी में आयोजित एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि उद्योग जगत को भी अपने सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत लोगों के लिए आय के अवसर पैदा करने तथा क्षमता निर्माण की व्यवस्था करने पर ध्यान देना चाहिए.

गरीबों के लिए आजीविका की सुरक्षा प्रदान करने तथा युवा भारत के सपने को पूरा करने पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि ये दोनो ही कार्य बडे चुनौतीपूर्ण हैं. इसी चुनौती के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या दुनिया की 17 प्रतिशत है जबकि देश का क्षेत्रफल विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत ही है.

एसोचैम द्वारा आयोजित इस समारोह में मुखर्जी ने कहा, भारत में छह दशक पहले 60 प्रतिशत आबादी गरीबी में जी रही थी. अब गरीबी का स्तर घटकर 30 प्रतिशत पर आ गया है. इसके बावजूद भी 2011-12 में 27 करोड लोगों की एक विशाल संख्या गरीबी की रेखा से नीचे रह रही थी.

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2020 तक भारतीयों की औसत आयु 29 वर्ष होगी. ऐसे में देश को युवा श्रमबल के लिये न केवल बेहतर रोजगार के अवसर निकालने होंगे बल्कि उन्हें क्षमता और कौशल से भी लैस करना होगा. उन्होंने कहा कि देश से गरीबी के अभिशाप को मिटाने के लिये रोजगार सृजन ही सबसे प्रभावी औजार साबित है.

राष्ट्रपति ने कहा कि खेती के क्षेत्र में अब नये रोजगार की संभावनाएं ठप है. क्योंकि इस क्षेत्र में रोजगार पर लोगों की निर्भरता का पहले ही बहुत ज्यादा है. ऐसे में खेती बाडी से बाहर दूसरे क्षेत्रों में नये रोजगार के अवसर पैदा करने की जरुरत है. उन्होंने यह भी कहा कि कृषि क्षेत्र आबादी का दबाव कम करने के लिये गैर-कृषि क्षेत्र में ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करने की आवश्यकता है और इसके लिये प्राथमिक कृषि से द्वितीयक-कृषि (वानिकी, पछली पालन, पोल्ट्री और दुग्ध उत्पादन आदि) क्षेत्र की तरफ बढा जाना चाहिये.

प्रणब ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग रोजगार के अवसर पैदा करने का एक बेहतर जरिया बन सकता है. लेकिन इस क्षेत्र को और विकसित करने के लिये शीत गृहों, सामान के रख-रखाव, पैकेजिंग और परिवहन क्षेत्र में काफी निवेश की आवश्यकता है. प्रणब ने कहा कि अगले एक दशक में भारत दुनिया में युवा श्रमबल भेजने वाला सबसे बडा आपूर्तिकर्ता होगा.

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आजीविका की सुरक्षा सामाजिक सुरक्षा के बिना अधूरी है. उन्होंने इसके लिये सुझाव दिया कि असंगठित क्षेत्र को पेंशन सुविधा देने वाली ‘स्वावलंबन’ जैसी योजनाओं को समूचे असंगठित क्षेत्र के कामगारों पर लागू किया जाना चाहिए.

भारत में कामकाजी जनसंख्या का 85 प्रतिशत यानी करीब 40 करोड लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. राष्‍ट्रपति ने उम्मीद जतायी कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत निवेशकों के अनुकूल की जा रही पहल से देश की अर्थव्यवस्था कम लागत और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के बडे विनिर्माण केंद्र के रुप में आगे बढेगी.

सरकार के नये कार्यक्रमों जैसे ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’, वित्तीय समावेश और डिजिटल इंडिया का उल्लेख करते हुये राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि इन कार्यक्रमों से आजीविका के व्यापक अवसर के साथ साथ सामाजिक आर्थिक लाभ भी उपलब्ध होंगे.

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