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लोकसभा ने ”बीमा संशोधन विधेयक” को दी मंजूरी

नयी दिल्ली : लोकसभा ने आज बीमा विधि संशोधन विधेयक 2015 को भी अपनी मंजूरी दे दी. यह विधेयक इस संबंध में लाये गये अध्यादेश का स्थान लेगा. सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तेजी से बढ […]

नयी दिल्ली : लोकसभा ने आज बीमा विधि संशोधन विधेयक 2015 को भी अपनी मंजूरी दे दी. यह विधेयक इस संबंध में लाये गये अध्यादेश का स्थान लेगा. सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तेजी से बढ रहा है और ऐसे में बीमा क्षेत्र का आकार और प्रभाव भी बढ रहा है.

लेकिन इसकी तुलना में देश में बीमा के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या काफी कम है जो चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि हमें यह देखना होगा कि अधिक से अधिक लोगों को बीमा के दायरे में लाने और इस क्षेत्र में पूंजी प्रवाह को बढाने के लिए क्या किया जा सकता है. इस क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढाने की जरुरत है.

इस विधेयक के माध्यम से बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 26 प्रतिशत से बढाकर 49 प्रतिशत निर्धारित किया गया है. सिन्हा ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है. हम वैश्विक मानकों के अनुरुप इस क्षेत्र को तैयार कर रहे हैं. इसके साथ ही सुरक्षा एवं सभी के हितों की रक्षा करने का प्रावधान किया गया है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने जीवन ज्योति, सुरक्षा बीमा योजना जैसी गरीबों के लिए कई पहल की है और कमजोर वर्ग के कल्याण को ध्यान में रखा गया है. विधेयक पर सीपीआई के सी एन जयदेवन के संशोधन प्रस्ताव को सदन ने नकार दिया. जबकि माकपा के पी करुणाकरण के संशोधन प्रस्ताव मत विभाजन के जरिये नामंजूर हो गया.

चर्चा में तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई बढाने की सरकार की पहल पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा पर चुटकी लेते हुए कहा कि पिता मुखालफत करते थे और बेटा उसकी वकालत कर रहा है. जयंत सिन्हा पूर्व वित्त मंत्री एवं भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के पुत्र हैं.

सौगत राय ने कहा कि जयंत इस विधेयक को पारित कराने की वकालत कर रहे हैं जबकि उनके पिता एवं वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने संसदीय समिति की रिपोर्ट में एफडीआई बढाये जाने का विरोध किया था जब संप्रग सरकार के समय में प्रारंभ में यह विधेयक 2011 में लाया गया था.

राय ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां वरिष्ठों की राय को कनिष्ठ द्वारा खारिज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राजग सरकार इसे लोकसभा में पारित करा सकती है लेकिन वह राज्यसभा में पारित नहीं करा पायेगी. कांग्रेस के शशि थरुर ने कहा कि ऐसा ही एक विधेयक राज्यसभा में लंबित है, ऐसे में यह संविधान के अनुच्छेद 107 का उल्लंघन करता है.

उन्होंने कहा कि सरकार नामावलियों के भिन्न होने का दावा कर सकती है लेकिन इसके तथ्य समान हैं. जब संप्रग सरकार यह विधेयक लेकर आई थी तब भाजपा ने इसका विरोध किया था. थरुर ने कहा कि अब वे वही विधेयक लेकर आए हैं और हमारे विधेयक में 100 गैर जरुरी संशोधन किये गये हैं. चर्चा में इनेलोद के दुष्यंत चौटाला आदि ने भी हिस्सा लिया.

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