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दिल्ली में आज नहीं चलेंगे ऑटो और टैक्सी, भारी जुर्माने के विरोध में हडताल

नयी दिल्ली :केंद्र के नये सडक सुरक्षा एवं परिवहन विधेयक के खिलाफ आज दिल्ली में टैक्सी और ऑटो यूनियनों ने एक दिन की हडताल का आह्वान किया है. दिल्ली ऑटोरिक्शा संघ तथा भारतीद मजूदर संघ के अंग दिल्ली प्रदेश टैक्सी यूनियन ने कहा है कि वह विधेयक के खिलाफ हैं और कल दिल्ली में आटोरिक्शा […]

नयी दिल्ली :केंद्र के नये सडक सुरक्षा एवं परिवहन विधेयक के खिलाफ आज दिल्ली में टैक्सी और ऑटो यूनियनों ने एक दिन की हडताल का आह्वान किया है. दिल्ली ऑटोरिक्शा संघ तथा भारतीद मजूदर संघ के अंग दिल्ली प्रदेश टैक्सी यूनियन ने कहा है कि वह विधेयक के खिलाफ हैं और कल दिल्ली में आटोरिक्शा और टैक्सियां नहीं चलेंगी. डीटीसी कर्मचारियों के एक वर्ग समेत कई बस यूनियन भी हडताल का समर्थन कर रहे हैं.

दोनों यूनियनों के महासचिव राजेन्द्र सोनी ने कहा, ‘विधेयक में छोटे से यातायात उल्लंघन के लिये भारी जुर्माने का प्रावधान है. यहां तक कि लाल बत्ती पार करने पर भी, यह उचित नहीं है.’ उन्होंने कहा कि एसोसिएशन राज्य सरकार से मांग करेगी कि वाहनों में जीपीएस लगाने के लिये 2700 रुपया वार्षिक शुल्क दिया जाये. ट्रांसपोर्टरों ने कहा कि वह हवाईअड्डा और रेलवे स्टेशनों से टैक्सी आटो परिचालित नहीं करेंगे जिससे यात्रियों को समस्या होने के आसार हैं.

दिल्ली परिवहन मजदूर संघ के रामपथ कासाना ने कहा, ‘यह राष्ट्रव्यापी विरोध है और हम ट्रांसपोर्टरों का समर्थन करते हैं. विधेयक जन हित में नहीं है. भारी जुर्माना लगाकर तथा 12 बार उल्लंघन पर एक साल के लिये लाइसेंस जब्त करने का नियम बना कर सरकार अन्य देशों की नीति की नकल कर रही है.’ दिल्ली सरकार ने हालांकि कहा है कि हडताल का परिवहन क्षेत्र पर असर नहीं पडेगा और दिल्ली परिवहन निगम की बसें चलेंगी.

टांसपोर्टरों का कहना है सरकार की ओर से छोटी सी भूल पर भी भारी जुर्माना वसूलना सरासर गलत है. अगर कोई टैक्‍सी ड्राइवर भूलवश टेफिक सिग्‍नल जंप कर जाता है तो उससे 5000 रुपये वसूलने का प्रावधान किया गया है. अब एक गरीब टैक्‍सी ड्राइवर दिनभर में पांच हजार रुपये कमाता नहीं है तो पांच हजार रुपये जुर्माना कहां से देगा.

इसी प्रकार टैक्‍सी ड्राइवरों का लाइसेंस जब्‍त करने का कानून भी काफी सख्‍त है और कहीं से भी तर्क संगत नहीं है. किसी टैक्‍सी या ऑटो चालक का लाइसेंस एक साल के लिए जब्‍त करना उसे बेरोजगार बनाने के समान है. अभी तक सरकार की ओर से ट्रांसपोर्टरों से किसी भी प्रकार के बातचीत की पहल नहीं की गयी है.

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