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डीबीटी के तहत सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की बिक्री 25 प्रतिशत घटी

नयी दिल्ली : प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की बिक्री में 25 प्रतिशत तक की कमी आई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीइए) अरविंद सुब्रह्मण्‍यम ने आज कहा कि योजना के अमल में आने से ज्यादातर छद्म लाभार्थी बाहर हो गए हैं, जिससे सब्सिडी वाले सिलेंडरों की बिक्री घट रही […]

नयी दिल्ली : प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की बिक्री में 25 प्रतिशत तक की कमी आई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीइए) अरविंद सुब्रह्मण्‍यम ने आज कहा कि योजना के अमल में आने से ज्यादातर छद्म लाभार्थी बाहर हो गए हैं, जिससे सब्सिडी वाले सिलेंडरों की बिक्री घट रही है. सुब्रह्मण्‍यम ने यूएनडीपी की कॉन्फ्रेंस कॉल में कहा, ‘हमने पाया है कि डीबीटी योजना के तहत सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की बिक्री में करीब 25 प्रतिशत की कमी आई है.’

डीबीटी के वित्तीय प्रभाव पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि 2014-15 में बचत 12,700 करोड रुपये की होगी. यह काफी पैसा है. लेकिन इस साल बचत कम यानी 6,500 करोड रुपये रहेगी.’ सुब्रह्मण्‍यम ने हालांकि, आगाह किया कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सही लाभार्थी इस योजना से बाहर न किये जाएं.

उन्‍होंने कहा, ‘यह जरुरी है कि हम लाभ को कुछ ज्यादा न आंकें और इसे करने की संभावित लागत को कम कर नहीं आंकें. डीबीटी और पहल के मामले में हमें कुछ शुरुआती प्रमाण मिले हैं जो बताते हैं कि बडी संख्या में छद्म लाभार्थी बाहर हुए हैं, लेकिन हम इस संभावना को नकार नहीं सकते कि कई सही लाभार्थी भी इससे बाहर हुये हैं.’

पूर्व में पीटरसन इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकनॉमिक्स में वरिष्ठ फेलो रहे सुब्रह्मण्‍यम ने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे थे कि व्यावसायिक बिक्री में काफी तेजी आएगी, पर वास्तव में ऐसा नहीं हुआ. इसमें सिर्फ छह प्रतिशत का इजाफा हुआ. पहल (पूर्व में डीबीटी) के तहत एलपीजी सिलेंडरों की बिक्री बाजार मूल्य पर की जाती है और उपभोक्ताओं को सब्सिडी सीधे उनके बैंक खातों में मिलती है. यह आधार या बैंक खाते को जोडकर किया जाता है. पहल का मकसद सब्सिडी का दुरुपयोग होने से रोकना व डुप्लिकेट या जाली एलपीजी कनेक्शनों को समाप्त करना है.

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि पहल, जनधन व आधार जैसी योजनाओं की वजह से संस्थागत व्यवस्था में सुधार हुआ है और चीजें अब काम कर रही हैं. यूनान के संकट पर सुब्रह्मण्‍यम ने कहा, ‘भारतीय बाजारों ने अब वापसी की है.’ उन्होंने कहा कि यदि हमारी कर प्रणाली कुछ अधिक तर्कसंगत होती, तो डीबीटी अधिक मूल्यवान साबित होता. उन्‍होंने कहा, ‘वाणिज्यिक बिक्री व बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की घरेलू बिक्री के बीच मूल्य का अंतर 32 प्रतिशत है. इसमें एक बडा हिस्सा करों का है.केंद्र एलपीजी पर पांच प्रतिशत सीमा शुल्क व आठ प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाता है वहीं राज्य औसतन इस पर 13 प्रतिशत कर लगाते हैं.’

उन्‍होंने कहा कि भारत में दूसरी, तीसरी या चौथी पीढी के सुधारों की बात करना काफी फैशनेबल है. ‘वास्तव में मैं कहूंगा कि हमने अभी तक पहली पीढी के सुधार ही नहीं किये हैं.’ डीबीटी योजना का विस्तार करने के प्रति सावधान करते हुये उन्होंने कहा, ‘मिट्टी तेल के मामले में उपभोक्ता दूरदराज क्षेत्रों में रहता है और कम शिक्षित है. आखिरी पडाव पर संपर्क सुविधा की समस्या से परेशानी बढ सकती है.’ खाद्य और उर्वरक सब्सिडी को तर्कसंगत बनाये जाने के बारे में सुब्रह्मण्‍यम ने कहा, ‘मेरा मानना है कि सरकार के विभिन्न हिस्से व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से विचारों के साथ आगे आ रहे हैं.

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