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खाद्य मंत्रालय ने गेहूं पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है : रामविलास पासवान

नयी दिल्ली : खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने आज कहा कि उनके मंत्रालय ने देश में गेहूं के सस्ते आयात को रोकने के लिए गेहूं पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है. भारत में पहले से ही गेहूं का अधिशेष स्टॉक जमा है. मौजूदा समय में गेहूं पर कोई आयात […]

नयी दिल्ली : खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने आज कहा कि उनके मंत्रालय ने देश में गेहूं के सस्ते आयात को रोकने के लिए गेहूं पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है. भारत में पहले से ही गेहूं का अधिशेष स्टॉक जमा है. मौजूदा समय में गेहूं पर कोई आयात शुल्क नहीं लागू है. पासवान ने इस वर्ष खाद्यान्नों की खरीद और वितरण करने वाली प्रमुख सरकारी एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के द्वारा इस साल खरीदे गये गेहूं की गुणवत्ता का कोई मुद्दा होने की संभावना से इंकार किया.

पासवान ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ऐसी खबरें हैं कि निजी व्यापारी गेहूं का आयात कर रहे हैं. हमने सस्ते आयात को रोकने के लिए 10 प्रतिशत के शुल्क लगाने और अधिशेष गेहूं के खपत को सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया है.’ उन्होंने कहा कि गेहूं का आयात 17 रुपये प्रति किलो के भाव से किया जा रहा है जबकि घरेलू बाजार में यह 18.50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध है.

उन्होंने कहा, ‘देश में पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की स्थिति है. इस वर्ष एफसीआइ द्वारा खरीदा जा रहा गेहूं अच्छी गुणवत्ता का है और इंसान के खपत के लिए ठीक है.’ पासवान ने कहा कि बेमौसम बरसात के कारण क्षतिग्रस्त हुए फसल के कारण गेहूं खरीद के मामले में गुणवत्ता मानदंड में ढील दी गई लेकिन उन्होंने कहा कि, ‘अनाज की गुणवत्ता अच्छी है.’ फसल वर्ष 2014-15 में भारी मात्रा में घरेलू गेहूं उत्पादन और एफसीआइ के पास अधिशेष स्टॉक होने के बावजूद इसका आयात किया जा रहा है.

फसल वर्ष 2013-14 में गेहूं के रिकार्ड नौ करोड 58.5 लाख टन के के मुकाबले वर्ष 2014-15 में गेहूं का उत्पादन घटकर नौ करोड 7.8 लाख टन रह गया. इस स्थिति के बावजूद एफसीआइ के पास चार करोड टन गेहूं का विशाल स्टॉक पडा है. एक अधिकारी ने पहले कहा था कि एफसीआइ ने अप्रैल से शुरू हुए चालू विपणन वर्ष में अभी तक 2.76 करोड टन गेहूं की खरीद की है. उन्होंने कहा, ‘इसमें से 20 से 30 प्रतिशत अनाज कुछ हल्की क्वालिटी का है जिसे जल्द खपाने की जरुरत है.’

एफसीआइ ने फरवरी से अप्रैल के बीच ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात के कारण फसलों के नुकसान को देखते हुए किसानों की मदद के लिए गेहूं की सरकारी खरीद की गुणवत्ता में ढील दी थी. आटा मिलें और निजी व्यापारियों का कहना है कि उन्हें बाहर सस्ता और अच्छा गेहूं मिल रहा है इस लिए वे उसका आयात कर रहे हैं. आटा मिलों ने दशक में पहली बार आस्ट्रेलिया से गेहूं का आयात शुरू किया है. उन्होंने आस्ट्रेलिया से पांच लाख टन गेहूं आयात के लिए अनुबंध पहले से कर रखा है और अब फ्रांस और रुस से पांच लाख टन गेहूं आयात करने की योजना बना रहे हैं.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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