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दुनिया में गरीबी कम करने में भारत और चीन की केंद्रीय भूमिका : संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि 1990 के बाद से अब तक एक अरब से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी की स्थिति से बाहर निकाला गया और इस मामले में चीन और भारत की मुख्य भूमिका रही है. संयुक्त राष्ट्र की रपट में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (एमडीजी) ने […]

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि 1990 के बाद से अब तक एक अरब से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी की स्थिति से बाहर निकाला गया और इस मामले में चीन और भारत की मुख्य भूमिका रही है. संयुक्त राष्ट्र की रपट में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (एमडीजी) ने विश्व को अब तक के इतिहास का सबसे सफल गरीबी उन्मूलन अभियान दिया है जिससे एक अरब से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकालने, भूख की समस्या कम करने में सहायता मिली और पहले से अधिक लडकियों को स्कूल भेजना संभव हुआ.

एमडीजी की अंतिम आकलन रपट में कहा गया है हालांकि, उल्लेखनीय लाभ हासिल होने के बावजूद अभी यह सुनिश्चित करने में और वक्त लगेगा कि सबसे गरीब और सबसे कमजोर लोग पीछे न छूट जाएं जिसमें निपट गरीबी की दर आधी करने से लेकर एचआईवी-एड्स का प्रसार रोकना तथा व्यापक प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराना शामिल है. यह काम इसके लिये तय समय सीमा 2015 तक होना चाहिये.

एमडीजी के तहत अत्यधिक गरीबी में रहने वालों का अनुपात आधा करने का लक्ष्य 2015 की समयसीमा से पांच साल पहले प्राप्त कर लिया गया था. ताजा अनुमानों से स्पष्ट है कि वैश्विक स्तर पर रोजाना 1.25 डालर से कम पर जीवन-निर्वाह करने वालों का अनुपात 2011 में घटकर 15 प्रतिशत रह गया जो 1990 में 36 प्रतिशत था. परियोजनाओं से संकेत मिलता है कि वैश्विक स्तर पर अत्यंत गरीबी की दर घटकर 2015 में 12 प्रतिशत रह गई है.

विकासशील क्षेत्रों में गरीबी की दर घटकर 2015 में 14 प्रतिशत रह गई है जो 1990 में 47 प्रतिशत थी. इसमें दो तिहाई से अधिक की गिरावट हुई है. साल 2011 तक उप-सहारा अफ्रीका को छोडकर सभी विकासशील क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी में रहने वालों का अनुपात आधा करने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है. रपट में कहा गया ‘विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले देशों, चीन और भारत ने वैश्विक स्तर पर गरीबी घटाने में केंद्रीय भूमिका निभाई. चीन में प्रगति के कारण पूर्वी एशियाई में निपट गरीबी 2015 में घटकर सिर्फ चार प्रतिशत रह गई जो 1990 में 61 प्रतिशत थी.’

इसमें कहा गया ‘दक्षिण एशिया की प्रगति भी उल्लेखनीय है. इसी अवधि में इन इलाकों में अत्यधिक गरीबी 52 प्रतिशत से घटकर 17 प्रतिशत रह गई. इसमें गिरावट की दर 2008 से तेज हुई है.’ महासचिव बान की मून ने कल ओस्लो में इस रपट को पेश करते हुए कहा ‘रपट से इस बात की पुष्टि होती है कि लक्ष्य प्राप्त करने की वैश्विक कोशिश से लाखों जानें बचीं और विश्व भर में करोडों लोगों की स्थिति सुधरी है.’ उन्होंने कहा ‘इन सफलताओं का वैश्विक समुदाय में जश्न होना चाहिए. साथ ही हमें यह भी अच्छी तरह पता है कि हम लक्ष्य से कहां भटके हैं और कहां हमसे चूक हुई.’

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Prabhat Khabar Digital Desk
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