26.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

स्वास्थ्य सेवा बीपीओ में भारत को अमेरिका, फिलीपीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा

नयी दिल्ली: भारत में आकर्षक लागत पर विदेशी कंपनियों के लिये ठेके में काम करने वाली बीपीओ कंपनियों के समक्ष अमेरिका और फिलीपीन की कंपनियों से प्रतिस्पर्धा बढती जा रही है. विशेषकर सेवा क्षेत्र में भारतीय बीपीओ कंपनियों को कडी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड रहा है. उद्योग मंडल एसोचैम और अन्र्स्ट एण्ड यंग के […]

नयी दिल्ली: भारत में आकर्षक लागत पर विदेशी कंपनियों के लिये ठेके में काम करने वाली बीपीओ कंपनियों के समक्ष अमेरिका और फिलीपीन की कंपनियों से प्रतिस्पर्धा बढती जा रही है. विशेषकर सेवा क्षेत्र में भारतीय बीपीओ कंपनियों को कडी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड रहा है.

उद्योग मंडल एसोचैम और अन्र्स्ट एण्ड यंग के संयुक्त अध्ययन में यह बात कही गई है. अध्ययन में कहा गया है कि फिलीपीन सहित दुनिया में और भी कम लागत वाले आकर्षक स्थान तेजी से उभरते जा रहे हैं जो कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत के बीपीओ (व्यावसायिक कार्य में दूसरों की सेवा लेना) क्षेत्र के लिये बडी चुनौती बनते जा रहे हैं.
एसोचैम और वैश्विक पेशेवेर फर्म अंर्स्ट एण्ड यंग के संयुक्त अध्ययन ‘भारत में चिकित्सा प्रकिया आउटसोर्सिंग’ में कहा गया है कि अमेरिका की स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रमुख बीपीओ कंपनियां भी भारतीय कंपनियों के लिये एक बडी चुनौती बन रही हैं. इसमें कहा गया है इनमें से कई स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और वह भारतीयों के मुकाबले कई तरह की सेवायें भी उपलब्ध कराते हैं.
अध्ययन के अनुसार भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के बीपीओ बाजार में ‘‘आंकडों की गोपनीयता सबसे बडी चुनौती है क्योंकि व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवाओं से जुडी सूचना भी उतनी ही निजी है जितनी कि वित्तीय सूचना रखना.”
ऐसे में विदेशी कंपनियों को सेवायें देने के लिये भारतीय बीपीओ कंपनियों को सुरक्षा और निजता के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरना होगा. क्योंकि इन्हीं मानदंडों के आधार पर आप कारोबार पा सकते हैं अथवा उससे हाथ धो सकते हैं.अध्ययन में एक और बात जो सामने आई है वह यह कि वैश्विक अथवा स्थानीय सेवा प्रदाता जिनके पास सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और बीपीओ सेवायें देने सहित एकमुश्त समाधान देने की क्षमता है, उनके पास व्यापक आंकडे, उनका विश्लेषण करने की क्षमता के साथ ही उंचा निवेश करने की भी क्षमता है ऐसे में बीपीओ सेवायें देने वाली कंपनियों के मुकाबले वह फायदे में हैं.
एसोचैम-ई एण्ड वाई अध्ययन के मुताबिक भारतीय बीपीओ उद्योग के समक्ष और भी कई मुद्दे हैं जिनसे वह प्रतिस्पर्धा में पिछड रहा है. वेतन का बढता स्तर, ढांचागत सुविधाओं की समग्र लागत पर महंगाई दबाव, मुद्रा विनिमय बाजार में दरों का उतार चढाव और इसके साथ ही बिजली, ब्राडबैंड संपर्क सहित कई चुनौतियां हैं जो उनके समक्ष हैं.इसमें कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भारत को प्राथमिकता के साथ देखा जा रहा है लेकिन कराधान से जुडे कानून, आंकडों की गोपनीयता और बौद्विक संपदा (आईपी) संरक्षण तथा क्लिनिकल परीक्षण से जुडे कानूनों को लेकर भी चिंता बरकरार है.
भारत में शोघ और विकास सेवाओं के मामले में आय और ट्रांसफर प्राइसिंग से जुडे मुद्दे को लेकर भी काफी जटिलतायें हैं. अध्ययन में कहा गया है हालांकि सरकार इन कानूनों में और स्पष्टता लाने के लिये कदम उठा रही है, लेकिन कुल मिलाकर मौजूदा परिदृश्य भारत के स्वास्थ्य सेवा बीपीओ बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है, इसमें सुधार की जरुरत है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel