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बैंकों के संघ की याचिका पर न्यायालय ने विजय माल्या को जारी किया नोटिस

नयी दिल्ली : अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि विजय माल्या ने एक ब्रितानी फर्म से उन्हें मिले चार करोड़ 50 लाख डॉलर समेत अपनी पूरी संपत्ति का खुलासा नहीं किया है जिसके बाद न्यायालय ने माल्या को नोटिस जारी किया. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि माल्या ने अपनी संपत्ति […]

नयी दिल्ली : अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि विजय माल्या ने एक ब्रितानी फर्म से उन्हें मिले चार करोड़ 50 लाख डॉलर समेत अपनी पूरी संपत्ति का खुलासा नहीं किया है जिसके बाद न्यायालय ने माल्या को नोटिस जारी किया. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि माल्या ने अपनी संपत्ति के बारे में पूरी जानकारी का खुलासा नहीं किया है और वह जनता के धन के लिए जवाबदेह हैं. रोहतगी ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ से कहा, ‘इन सज्जन (माल्या) ने न्यायालय के आदेशों का पूरी तरह पालन नहीं किया और उन्होंने अपनी संपत्तियों के बारे में सारी जानकारी का खुलासा नहीं किया है. उन्होंने (ब्रितानी शराब कंपनी) डियाजियो से उन्हें मिली चार करोड 50 लाख डॉलर की राशि का भी खुलासा नहीं किया.’

न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल के बयानों पर ध्यान देने के बाद माल्या को नोटिस जारी किया और भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ की याचिका पर उन्हें चार सप्ताह में जवाब देने को कहा. याचिका में माल्या के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू किए जाने की मांग की गई है. रोहतगी ने 14 जुलाई को दावा किया था कि माल्या ने उच्चतम न्यायालय को एक सीलबंद लिफाफे में अपनी संपत्तियों की गलत जानकारी दी थी.

उन्होंने बाद में कहा कि बहुत सी जानकारी छुपाई भी गई जिनमें 2500 करोड रुपये का नकदी लेन देन शामिल है. इस सूचना को छुपाया जाना न्यायालय की अवमानना के बराबर है. इससे पहले न्यायालय ने माल्या से एक सीलबंद लिफाफे में उनकी संपत्तियों का विवरण मांगा था. हाल में बैंकों के संघ ने आरोप लगाया था कि माल्या उनके खिलाफ मामलों की जांच में सहयोग नहीं कर रहे और वह अपनी विदेशी पूंजी की जानकारी देने के इच्छुक नहीं हैं.

माल्या के जवाब के प्रत्युत्तर में दायर हलफनामे में बैंकों ने कहा है कि माल्या और उसके परिवार की विदेश स्थित संपत्ति की जानकारी उससे बकाये की वसूली के मामले में काफी अहम होगी. माल्या ने कहा था कि बैंकों का उनकी विदेशी चल एवं अचल संपत्तियों संबंधी सूचना पर कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह 1988 से एक प्रवासी भारतीय है.

उन्होंने यह दावा किया था कि प्रवासी भारतीय के तौर पर वह अपनी विदेशी संपत्तियों की जानकारी देने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं और उन्होंने साथ ही कहा था कि उनके तीन बच्चे एवं पत्नी को भी उनकी संपत्तियों की जानकारी देने की आवश्यकता नहीं है. वे सभी अमेरिकी नागरिक हैं.

न्यायालय ने माल्या को सात अप्रैल को आदेश दिया था कि वह 21 अप्रैल तक अपनी और अपने परिवार की भारत एवं विदेश में कुल संपत्तियों के बारे में खुलासा करे. न्यायालय ने उनसे यह भी बताने को कहा था कि वह कब उसके सामने पेश होंगे.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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