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विदेशी मीडिया में भी है GST के चर्चे, विधेयक पारित होना बड़ी सफलता लेकिन क्रियान्वयन चुनौती

सिंगापुर/न्यूयार्क: जीएसटी विधेयक का पारित होना प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने और रोजगार सृजन के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को एकीकृत करने के लंबे प्रयास में मिली सफलता है लेकिन इसका क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण हो सकता है और इसमें समय लग सकता है क्योंकि आगे कुछ बारीकियों पर सहमति आसान नहीं होगी. डेवलपमेंट बैंक ऑफ सिंगापुर […]

सिंगापुर/न्यूयार्क: जीएसटी विधेयक का पारित होना प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने और रोजगार सृजन के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को एकीकृत करने के लंबे प्रयास में मिली सफलता है लेकिन इसका क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण हो सकता है और इसमें समय लग सकता है क्योंकि आगे कुछ बारीकियों पर सहमति आसान नहीं होगी.

डेवलपमेंट बैंक ऑफ सिंगापुर (डीबीएस) ने आज कहा कि पिछली रात संसद द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक का पारित किया जाना बडा सकारात्मक कदम है और इससे घरेलू बाजारों को अस्थाई प्रोत्साहन मिलेगा.डीबीएस की उपाध्यक्ष और अर्थशास्त्री, राधिका राव ने कहा, ‘‘यह सकारात्मक घटनाक्रम है. लेकिन जीएसटी क्रियान्वयन के लिए अप्रैल 2017 की समयसीमा बेहद चुनौतीपूर्ण है .. वास्तविक प्रणाली अब तक तैयार नहीं है जो अगला विवादास्पद मुद्दा होगा.” बैंक की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली प्रमुख अर्थशास्त्री, राव ने कहा ‘‘जीएसटी का पूर्ण क्रियान्वयन अगले वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी छमाही में होगा.
” उन्होंने कहा, ‘‘कुछ बारीकियों पर सहमति बना पाना आसान नहीं होगा. इसमें काफी समय लग सकता है.” उन्होंने बैंक की दैनिक बाजार रपट में कहा, ‘‘2017 में कई राज्यों में चुनाव होने हैं जिसके मद्देनजर इस घटनाक्रमों पर करीब से निगाह रहेगी।” अमेरिका के प्रमुख अखबारों ने कहा कि विधेयक का पारित होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारतीय अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण के अभियान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है और दीर्घकालिक स्तर पर इससे विदेशी निवेश आकर्षित होगा, विनिर्माण तथा निर्यात को बढावा मिलेगा. साथ ही रोजगार सृजन होगा.
न्यूयार्क टाइम्स ने संसद के उपरी सदन में जीएसटी विधेयक पारित होने के संबंध में अपनी खबर में कहा कि यह 1991 में भारत में बाजार को खोलने के बाद से अब तक की सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक पहल है.खबर में कहा गया, ‘‘विकासशील दुनिया में सबसे गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत में राज्य दर राज्य अलग-अलग कर संहिताएं हैं जिसके कारण राज्यों की सीमाओं से परे कारोबार करना अनुकूल नहीं था।” इसमें कहा गया, ‘‘वस्तु एवं सेवा कर को बडी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है जिससे सरकार को समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी और अपेक्षाकृत अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था तैयार होगी जिससे कंपनियों को ज्यादा आसानी से देश भर में विस्तार करने में मदद मिलेगी.”
वाल स्ट्रीट जर्नल में छपी एक रपट में कहा गया कि राज्य सभा में एक साल तक अटके रहने के बाद संसद ने देश की पेचीदा कर प्रणाली में विवादास्पद परिवर्तन को मंजूरी दी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एशिया की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण के अभियान में महत्वपूर्ण कदम है.अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यएसआईबीसी) ने भारतीय संसद द्वारा पारित जीएसटी विधेयक को पासा पलटने वाला करार दिया जिससे घरेलू आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा.

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