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एयर इंडिया कर्मचारी के बेटे का कमाल! कभी कम्यूटर खरीदने के नहीं थे पैसे, आज बना रहे उद्यमी

Success Story: एयर इंडिया कर्मचारी के बेटे तरुण शर्मा ने बिना संसाधनों के शुरुआत कर 1999 में मीडिया डिजाइन्स की स्थापना की. आज वे एक सफल उद्यमी, सामाजिक कार्यकर्ता और भाषाई पहचान के समर्थक हैं. PPP मॉडल से युवाओं को उद्यमिता सिखाते हैं और उनकी पहल "तरुण भारत" और "हिंदी में हस्ताक्षर" देशभर में जागरूकता फैला रही हैं.

Success Story: जब देश में ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत हो रही थी, तब लाखों युवक रोजगार तलाश रहे थे. हालांकि, ग्लोबलाइजेशन से पहले भारत में कम्म्यूटराइजेशन हो चुका था और उस दौर में कम्यूटर का काफी क्रेज था. बिरले ही होते, जिनके पास कम्यूटर होता था. इस ग्लोबलाइजेशन और कम्यूटराइजेशन के दौर में भारत की दिग्गज विमानन कंपनी एयर इंडिया के कर्मचारी का बेटा रोजगार के लिए कम्प्यूटर लेना चाहता था, लेकिन उस जमाने में उसके पास एक अदद कम्प्यूटर खरीदने के पैसे नहीं थे. आज वही युवक अपने अथक परिश्रम से सरकार की पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के जरिए उद्यमी बना रहे हैं. उस युवक का नाम तरुण शर्मा है. आइए, जानते हैं कि एयर इंडिया के कर्मचारी के बेटे ने खुद उद्यमी बनकर आज के युवकों को उद्यमी कैसे बना रहे हैं?

तरुण शर्मा की पारिवारिक पृष्ठभूमि

तरुण शर्मा के पिता योगेंद्र दत्त शर्मा एयर इंडिया के कॉमर्शियल डिपार्टमेंट के सीनियर मैनेजर थे. उनके दादा नाम पंडित तुलाराम शर्मा है. दिल्ली के नारायणा विहार में वर्ष 1980 में जन्मे तरुण शर्मा के नाना महेश चंद्र शर्मा जनसंघ के जमाने के प्रखर नेता और दिल्ली के पूर्व मेयर भी थे. उन्होंने बताया कि जब देश में ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत हो रही थी, तब वे रोजगार तलाश रहे थे. यहीं से उन्होंने एक छोटी शुरुआत की.

छोटी शुरुआत से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच

तरुण शर्मा ने बताया कि उन्होंने पारंपरिक तौर पर सरकारी या प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करने के बजाय कुछ अलग हटकर राह चुनी. कॉलेज की औपचारिक शिक्षा में असंतोष और आत्म-संदेह से जूझते हुए उन्होंने बहुत कम संसाधनों के साथ अपने जुनून की ओर पहला कदम बढ़ाया और एक सेकेंडहैंड कंप्यूटर खरीदी.

1999 में मीडिया डिजाइन्स नामक कंपनी की स्थापना

तरुण शर्मा ने वर्ष 1999 में मीडिया डिजाइन की नींव रखी. यह एक ऐसी फर्म है, जो मार्केटिंग, डिजाइनिंग और प्रिंटिंग सर्विसेज उपलब्ध कराती है. समय के साथ यह कंपनी कॉर्पोरेट फिल्म निर्माण, इवेंट मैनेजमेंट और डिजिटल ब्रांडिंग में भी कदम रखा. आज तरुण शर्मा मीडिया डिजाइन्स के संस्थापक होने के साथ-साथ सीईओ भी हैं. एक पहले-पहल के उद्यमी हैं जिन्होंने मीडिया, ब्रांडिंग और सामाजिक अभियानों में दो दशकों से अधिक का अनुभव अर्जित किया है. कम्यूनिकेशन, शिक्षा और सामाजिक प्रभाव के क्षेत्रों में उन्होंने अपनी बहुआयामी सोच और इनोवेशन के जरिए कई मानक भी स्थापित किए हैं.

पीपीपी के जरिए छात्रों को बना रहे उद्यमी

उद्योग और शिक्षा के बीच की खाई को पाटते हुए तरुण ने IMAC (Innovative Media, Advertising & Communication) की शुरुआत की. इसका उद्देश्य युवाओं को व्यावसायिक कौशल और उद्योग-प्रासंगिक ट्रेनिंग देना था. इसके जरिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय, YWCA और प्रमुख सरकारी-गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी की. तरुण शर्मा ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के जरिए छात्रों की खातिर प्रोजेक्ट्स तैयार किए और उनके से कुछ बच्चों को अपनी कंपनी में व्यावसायिक कौशल की ट्रेनिंग देकर उद्यमी बनाया. यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है.

2009 में सामाजिक पहल की शुरुआत

तरुण ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2009 में “तरुण भारत” नामक एक सामाजिक पहल की शुरुआत की, जो युवाओं को प्रेरित करता है कि “परिवर्तन की शुरुआत आप से होती है.” इस पहल ने युवाओं को आत्म-जागरूकता और जिम्मेदारी के प्रति प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई.

वैश्विक स्तर पर विस्तार और नेतृत्व

तरुण शर्मा की कंपनी मीडिया डिजाइन्स ने वर्ष 2010 से 2014 के बीच कॉर्पोरेट फिल्मों और हाई-इम्पैक्ट इवेंट्स के जरिए चीन, थाईलैंड और दुबई में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. 2015 तक उनकी फिल्में और ब्रांड वीडियो ग्लोबल एक्सपो और उद्योग मेलों में प्रदर्शित होने लगे.

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सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को बढ़ावा

वर्ष 2018 में हिंदी भाषा के प्रचार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए तरुण ने “द हिंदी” और “हिंदी में हस्ताक्षर” जैसे अभियानों की शुरुआत की. यह पहल लोगों को अपनी मातृभाषा से जुड़ने और उसकी गरिमा को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रेरित करती है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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