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प्याज के ‘झांस’ से पिलपिला गया संतरा, किसानों के निकल रहे आंसू

घरेलू बाजार में प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने दिसंबर 2023 में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, पिछले महीने इसके निर्यात में कुछ ढील दी गई थी.

नई दिल्ली : भारत-बांग्लादेश के बीच शुरू हुए गुप्त ‘व्यापार युद्ध’ में प्याज के ‘झांस’ (प्याज को काटने के बाद निकलने वाला तेज गंध) से महाराष्ट्र के विदर्भ में संतरा का रस निकल रहा है और वह खेतों में खड़े-खड़े पिलपिला रहा है. वहीं, कपास के किसानों से भी आंसू निकल रहे हैं. खबर है कि इस गुप्त व्यापार युद्ध में पश्चिम भारत के महाराष्ट्र के नागपुर आसपास इस भीषण गर्मी में प्याज संतरे और कपास को अकेले टक्कर दे रहा है. वजह यह बताई जा रही है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पड़ोसी देश बांग्लादेश काफी नाराज है. इस नाराजगी के बीच उसने संतरे और कपास के आयात पर लगने वाले शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है, जिसके चलते विदर्भ के संतरा और कपास के उत्पादकों की परेशानी बढ़ गई है और वे बांग्लादेश में इसका निर्यात नहीं कर पा रहे हैं.

बांग्लादेश ने संतरे पर बढ़ाया आयात शुल्क

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र संतरा के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र के हजारों किसानों के पास संतरे का भंडार बचा है. यहां के संतरा किसानों का मुख्य बाजार बांग्लादेश है, लेकिन भारत सरकार की ओर से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद वहां की सरकार ने संतरे के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी. इस वजह से अब विदर्भ के किसान अपने इस रसीले फल को बांग्लादेश के बाजार में बेचने में असमर्थ हैं.

भारत के संतरे को नहीं खरीद रहे बांग्लादेश के कारोबारी

विदर्भ के संतरा उत्पादकों के हवाले से मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि पिछले साल तक यहां के किसान रोजाना 6,000 टन संतरा रोजाना बांग्लादेश भेजा करते थे, लेकिन लेकिन ढाका ने नवंबर 2023 में इसके आयात शुल्क को बढ़ाकर 88 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया. हालांकि, 2019 में संतरा पर 20 रुपये किलो आयात शुल्क वसूल किया जाता था. आयात शुल्क में बढ़ोतरी होने के साथ ही बांग्लादेश में संतरे की कीमत बढ़ गई, जिसके चलते वहां के कारोबारियों ने भारत से इस रसीले फल को खरीदना कम कर दिया. भारत के साथ सौदा करना उनके लिए फायदेमंद नहीं रहा.

प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध का बदला ले रहा बांग्लादेश

नागपुर संतरा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के अध्यक्ष मनोज जावंजाल का कहना है कि अब हम रोजाना बामुश्किल 100 टन या पांच ट्रक संतरे ही बांग्लादेश भेज पाते हैं. विदर्भ के किसानों का मानना ​​है कि घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार की ओर से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से बांग्लादेश बदला ले रहा है और उसने संतरे के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी.

दिसंबर, 2023 में सरकार ने प्याज निर्यात पर लगाई थी रोक

घरेलू बाजार में प्याज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने दिसंबर 2023 में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, पिछले महीने इसके निर्यात में कुछ ढील दी गई थी, जिससे बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका में इसका निर्यात दोबारा शुरू किया गया. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि भारत से प्याज का निर्यात शुरू होने पर बांग्लादेश संतरे पर बढ़ाए गए आयात शुल्क में कटौती करेगी या नहीं.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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