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क्या सोना नहीं रहा दुनिया का कीमती मेटल? अनिल अग्रवाल बोले- कॉपर है नया सुपर मेटल!

Costly Metal Copper: वेदांता ग्रुप के अनिल अग्रवाल का मानना है कि कॉपर अब दुनिया का नया सुपर मेटल है. बैरिक गोल्ड जैसी कंपनियां भी सोने से तांबे की ओर बढ़ रही हैं. ईवी, एआई और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.

Costly Metal Copper: क्या सोना अब सबसे कीमती धातु नहीं रहा? वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के अनुसार, कॉपर (तांबा) अब “नया सुपर मेटल” बन गया है. उनका मानना है कि भारत में क्रिटिकल मेटल्स और ट्रांजिशन मेटल्स का जबरदस्त भविष्य है और युवा उद्यमियों के लिए यह एक बड़ा अवसर बन सकता है.

बैरिक गोल्ड भी बदल रही है दिशा

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सोना उत्पादक कंपनी Barrick Gold अब अपना फोकस तांबे की ओर बढ़ा रही है. कंपनी अपने नाम से “गोल्ड” हटाकर खुद को Barrick Mining Corp के रूप में रीब्रांड करना चाहती है. इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि सोने की जगह अब तांबे में निवेश को ज्यादा अहमियत दी जा रही है.

हर आधुनिक तकनीक की जरूरत है कॉपर

अनिल अग्रवाल ने 18 अप्रैल को एक्स (Twitter) पर पोस्ट करते हुए कहा कि कॉपर का इस्तेमाल हर एडवांस टेक्नोलॉजी में किया जा रहा है. चाहे EVs, रिन्यूएबल एनर्जी, AI हो या डिफेंस टेक्नोलॉजी, हर क्षेत्र में तांबे की भूमिका अहम हो गई है. उन्होंने युवाओं से अपील की, “आइए इसे एक मिशन बनाएं.”

वैश्विक स्तर पर कॉपर में निवेश

  • Barrick पाकिस्तान में एक तांबे की खदान में 6 बिलियन डॉलर का निवेश कर रही है, जो 2028 तक शुरू होगी और 40 वर्षों तक चलने की उम्मीद है.
  • जाम्बिया की मौजूदा तांबे की खदान का भी विस्तार किया जा रहा है, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी खदानों में शुमार हो सकती है.
  • Vedanta Resources जाम्बिया की Konkola Copper Mines (KCM) में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है, ताकि नई परियोजनाओं में फंडिंग की जा सके.
  • वेदांता सऊदी अरब में कॉपर प्रोसेसिंग यूनिट्स पर 2 बिलियन डॉलर का निवेश भी कर रही है.

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भारत में निवेश और उद्यमिता का सुनहरा अवसर

कॉपर को लेकर तेजी से बढ़ती वैश्विक मांग भारत के लिए भी एक सुनहरा अवसर बन सकती है. अनिल अग्रवाल के अनुसार, यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम करें तो भारत क्रिटिकल मेटल्स के ग्लोबल हब के रूप में उभर सकता है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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