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एक बार फिर विवादों में घिरी डीडीआईएल, सरकारी भुगतान में अनियमितता का मामला

DDIL Controversy: धरती ड्रेजिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (डीडीआईएल) एक बार फिर विवादों में है. गंगा नदी परियोजना से जुड़े भुगतान में अनियमितता के आरोप में आईडब्ल्यूएआई ने कारण बताओ नोटिस भेजा है. पहले भी फर्जी बैंक गारंटी के चलते कंपनी ब्लैकलिस्ट हो चुकी है. योगायतन ग्रुप की ओर से अधिग्रहण के बावजूद कंपनी की पारदर्शिता और संचालन पर सवाल कायम हैं. सरकारी जवाबदेही और वित्तीय व्यवहार पर उठते इन प्रश्नों ने डीडीआईएल को एक बार फिर जांच के घेरे में ला खड़ा किया है.

DDIL: भारत में जल-मार्गों के विकास और रखरखाव के क्षेत्र में काम करने वाली धरती ड्रेजिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (डीडीआईएल) एक बार फिर विवादों में घिर गई है. अब योगायतन ग्रुप के अधीन संचालित यह कंपनी सरकारी भुगतान विवाद और नियामक जांचों के कारण चर्चा में है.

ड्रेजिंग का महत्व और डीडीआईएल की भूमिका

1993 में स्थापित डीडीआईएल देश की प्रमुख ड्रेजिंग कंपनियों में शुमार रही है. ड्रेजिंग का मतलब नदियों, झीलों और समुद्री क्षेत्रों के तल से गाद, रेत और मिट्टी हटाना होता है. यह कार्य जलमार्गों की गहराई बनाए रखने, बाढ़ नियंत्रण और निर्माण गतिविधियों के लिए अत्यंत आवश्यक है.

प्रबंधन में बदलाव, लेकिन सवाल बरकरार

डीडीआईएल ने बीते वर्षों में गंभीर वित्तीय संकटों का सामना किया. इसके बाद कंपनी का अधिग्रहण मुंबई स्थित योगायतन समूह ने किया. हालांकि, मालिकाना बदलाव के बावजूद पारदर्शिता और कार्य निष्पादन को लेकर उठते सवालों से कंपनी पीछा नहीं छुड़ा पाई है.

आईडब्ल्यूएआई ने उठाए सवाल

इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्ल्यूएआई) ने गंगा नदी परियोजना से जुड़े भुगतान बिलों में ‘अनियमितता’ के आरोप में कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा है. आईडब्यूएआई के उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह के अनुसार, ड्रेजिंग के दावों में संदेहास्पद तथ्य पाए गए हैं, जिसकी जांच शुरू कर दी गई है.

पहले भी विवादों में रह चुकी है कंपनी

यह पहला मौका नहीं है, जब डीडीआईएल विवादों में आई है. वर्ष 2018–19 में कंपनी को फर्जी बैंक गारंटी जमा करने के आरोप में इसे दो वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था. इसके अलावा कंपनी पर पहले से एक वित्तीय अनियमितता से जुड़ा केस भी दर्ज है.

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कंपनी ने साधी चुप्पी

आईडब्ल्यूएआई की ओर से इस मुद्दे पर कंपनी से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया. उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर भी संपर्क साधा गया, लेकिन कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया. नाम और प्रबंधन बदलने के बावजूद डीडीआईएल की छवि अब भी सवालों के घेरे में है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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