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EMI Moratorium : सोमवार के बाद Loan लेने वाले लाखों कर्जदारों का बजट होगा खराब, जानिए क्या है कारण

EMI Moratorium news : सोमवार यानी 31 अगस्त के बाद से देश में लोन लेने वाले लाखों नौकरी-पेशा लोगों का बजट बिगड़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं. इसका कारण यह है कि जिन लोगों ने घर या गाड़ी खरीदने या फिर किसी और काम के लिए होम लोन, कार लोन या फिर पर्सनल लोन ले रखे हैं, उन्हें लॉकडाउन के दौरान रिजर्व बैंक की ओर से दो चरणों में ऋण अधिस्थगन के तहत बैंकों में किस्त भुगतान से दी गयी छूट की अवधि समाप्त हो जाएगी. इससे वैसे नौकरी-पेशा लोगों का बजट खराब हो जाएगा, जिनके वेतन में कटौती कर ली गयी है. इसके अलावा, उन कारोबारियों और उद्यमियों का भी बजट गड़बड़ा जाएगा, जिनका कारोबार अनलॉक-3 के खत्म होने तक खोला नहीं गया है.

EMI Moratorium news : सोमवार यानी 31 अगस्त के बाद से देश में लोन लेने वाले लाखों नौकरी-पेशा लोगों का बजट बिगड़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं. इसका कारण यह है कि जिन लोगों ने घर या गाड़ी खरीदने या फिर किसी और काम के लिए होम लोन, कार लोन या फिर पर्सनल लोन ले रखे हैं, उन्हें लॉकडाउन के दौरान रिजर्व बैंक की ओर से दो चरणों में ऋण अधिस्थगन के तहत बैंकों में किस्त भुगतान से दी गयी छूट की अवधि समाप्त हो जाएगी. इससे वैसे नौकरी-पेशा लोगों का बजट खराब हो जाएगा, जिनके वेतन में कटौती कर ली गयी है. इसके अलावा, उन कारोबारियों और उद्यमियों का भी बजट गड़बड़ा जाएगा, जिनका कारोबार अनलॉक-3 के खत्म होने तक खोला नहीं गया है.

एक सितंबर से कर्जदारों को करना होगा किस्त का भुगतान : रिजर्व बैंक ने अभी हाल में यह क्लीयर कर दिया है कि लॉकडाउन के दौरान कर्जदारों को किस्त भुगतान से जो छूट दी गयी है, उसे आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. 31 अगस्त को किस्त भुगतान में दी गयी छूट की अवधि समाप्त हो रही है. इसका मतलब यह हुआ कि कर्जदारों को आगामी 1 सितंबर से पहले की तरह बैंकों में कर्ज के किस्त का भुगतान करना होगा.

अस्थायी समाधान थी किस्त भुगतान से दी गयी छूट : रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इस बात को भी क्लीयर कर चुके हैं कि लॉकडाउन के दौरान जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार और रिजर्व ने कई कदम उठाए हैं. इन्हीं में से एक किस्त भुगतान में छूट यानी ऋण स्थगन की सुविधा भी शामिल है. गवर्नर ने कहा कि लोन मोराटोरियम की सुविधा एक अस्थायी समाधान थी. कर्ज समाधान ढांचे से कोविड-19 संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे कर्जदारों को टिकाऊ राहत मिलने की उम्मीद है.

बैंकों ने की थी लोन मोराटोरियम का विस्तार नहीं देने की अपील : गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना महामारी की रोकथाम के बाद देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा. वित्तीय क्षेत्र को सामान्य स्थिति में लौटना चाहिए. गवर्नर ने क्लीयर किया है कि किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि रिजर्व बैंक उपायों को जल्द हटा लेगा. इसके पहले, एसबीआई, एचडीएफसी, पीएनबी, महिंद्रा बैंक और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन ने सरकार से लोन मोराटोरियम का विस्तान नहीं देने की अपील की थी.

कर्जदारों के अनुरोध पर अपने स्वविवेक से मोराटोरियम का लाभ दे सकते हैं बैंक : रिजर्व बैंक गवर्नर ने इसी महीने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति पेश करते समय कर्जदारों को ऋण पुनर्गठन की सुविधा देने का ऐलान किया था. इसके तहत बैंकों को लोन चुकाने की अवधि बढ़ाने या किस्त कम कर राहत देने का विकल्प दिया गया था. बैंकिंग सूत्रों के अनुसार, जिन विकल्प पर बैंक विचार कर रहे हैं, उसमें कर्जदाता होम लोन की किस्त को कुछ महीने के लिए बंद करने या दो साल तक मौजूदा किस्त को कम करने देने का चुनाव कर सकते हैं.

Also Read: ‘EMI moratorium किसको मिलेगा है और किसको नहीं? अब ये बैंक करेंगे तय’

Posted By : Vishwat Sen

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