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Lockdown में सता रहा है नौकरी जाने का भय! तो घबराएं नहीं, खाताधारकों और कंपनियों को SMS भेज रहा ईपीएफओ

देश में कोरोनावायरस महामारी के प्रसार को कम करने के लिए बीते 25 मार्च से लागू लॉकडाउन में अगर आप दफ्तर नहीं जा रहे हैं और आपको नौकरी जाने के खतरे से भयभीत हैं, तो आपको डरने की कतई जरूरत नहीं है.

नयी दिल्ली : देश में कोरोनावायरस महामारी के प्रसार को कम करने के लिए बीते 25 मार्च से लागू लॉकडाउन में अगर आप दफ्तर नहीं जा रहे हैं और आपको नौकरी जाने के खतरे से भयभीत हैं, तो आपको डरने की कतई जरूरत नहीं है. सरकार ने निजी और सरकारी संस्थाओं के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से संदेश दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस अपील को श्रम मंत्रालय से जुड़े कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से खाताधारकों और कंपनियों को एसएमएस के जरिये संदेश भेजा रहा है.

ईपीएफओ की ओर से भेजे जा रहे संदेश में कंपनियों को निर्देश दिया गया है, ‘हमारे प्रधानमंत्री के अपील के आलोक में तमाम संस्थानों से आग्रह किया जाता है कि वे कोविड-19 या लॉकडाउन के दौरान काम पर जाने में असमर्थ कर्मचारियों की सैलरी में कटौती नहीं की जाए और न ही उन्हें नौकरी से निकाला जाए. सभी कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता के साथ अपने घरों में ठहरकर योगदान दे रहे हैं.’

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इसके अलावा, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी कोरोना वायरस संकट के कारण छुट्टी लेता है, तो भी उसके ड्यूटी पर आने जैसा ही माना जाए और इसके तहत उसकी सैलरी नहीं काटी जाए. इसके साथ ही, अगर कोई दफ्तर इस आफत के कारण बंद होता है, तो ये माना जाए कि उसके कर्मचारी ड्यूटी पर हैं.

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इसके पहले, कोरोना वायरस महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान ईपीएफओ ने अपने कर्मचारियों को उनके खाते से करीब 75 फीसदी निकासी की छूट भी दी है. उसकी ओर से यह छूट बीते दिनों को वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की ओर से दिए गये राहत पैकेज के बाद दी गयी है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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