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‘अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए घाटे के बावजूद खर्च में बढ़ोतरी कर सकती है मोदी सरकार’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए सरकार बढ़ोतरी कर सकती है, चाहे इससे बजट घाटे में और बढ़ोतरी ही क्यों न हो जाए. ब्लूमबर्ग टीवी को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि सरकार जल्दबाजी में प्रोत्साहन खर्च (राहत पैकेज) में कमी करने का फैसला नहीं करेगी. इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी सरकारी कंपनियां पूंजीगत जारी रखें. उन्होंने कहा कि इस समय जिस तरह के हालात बने हैं, उसमें खर्च बढ़ाए जाने की जरूरत है. इसे लेकर राजकोषीय घाटे के प्रति चिंतित होने की जरूरत नहीं है.

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए सरकार बढ़ोतरी कर सकती है, चाहे इससे बजट घाटे में और बढ़ोतरी ही क्यों न हो जाए. ब्लूमबर्ग टीवी को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि सरकार जल्दबाजी में प्रोत्साहन खर्च (राहत पैकेज) में कमी करने का फैसला नहीं करेगी. इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी सरकारी कंपनियां पूंजीगत जारी रखें. उन्होंने कहा कि इस समय जिस तरह के हालात बने हैं, उसमें खर्च बढ़ाए जाने की जरूरत है. इसे लेकर राजकोषीय घाटे के प्रति चिंतित होने की जरूरत नहीं है.

पिछले महीने कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित कंपनियों को उबारने और रोजगार बचाने को लेकर सरकार ने अर्थव्यवस्था के 15 फीसदी के बराबर राहत पैकेज के उपाय किए. सरकार के इस फैसले से मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक बजट घाटा बढ़कर जीडीपी का 8 फीसदी तक पहुंच सकता है, जो निर्धारित लक्ष्य 3.5 फीसदी के दोगुने से भी अधिक है.

वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाले समय के लिए एक आकलन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अभी खर्चों में तुरंत किसी कटौती के लिए सोचना भी संभव नहीं है. खर्च में संतुलन बनाए रखना है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में जो सुधार हुआ है, उसे बनाए रखने के लिए खर्च में बढ़ोतरी करना बेहद जरूरी है.

सरकार ने अभी जिस प्रकार के कदम उठाए हैं, उससे अर्थव्यवस्था में सुधार दिखने लगा है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में रिकॉर्ड 24 फीसदी की दर से सिकुड़न के बाद दूसरी तिमाही में भी भारी गिरावट की उम्मीद की गई थी. हालांकि, केंद्र सरकार के प्रयासों की वजह से दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5 फीसदी की दर से गिरावट रही. इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों ने बढ़ोतरी के भी संकेत दिखाई दिए हैं.

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Posted By : Vishwat Sen

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