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Share Market: भारतीय शेयर बाजार में बढ़ा विदेशी निवेशकों का भरोसा, सितंबर-दिसंबर तक 13% बढ़ा निवेश

Share Market Investment: सेंसेक्स ने 52 हफ्तों में 17.23 प्रतिशत या रिटर्न दिया है. जबकि, निफ्टी पर भी निवेशकों को करीब 21.28 प्रतिशत का रिटर्न प्राप्त हुआ है. ऐसे में दिसंबर तिमाही में भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की हिस्सेदारी का मूल्य 738 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

Share Market Investment: भारतीय शेयर बाजार का पिछले एक साल में शानदार प्रदर्शन रहा है. सेंसेक्स ने 52 हफ्तों में 17.23 प्रतिशत या रिटर्न दिया है. जबकि, निफ्टी पर भी निवेशकों को करीब 21.28 प्रतिशत का रिटर्न प्राप्त हुआ है. ऐसे में दिसंबर तिमाही में भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की हिस्सेदारी का मूल्य 738 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो सितंबर तिमाही की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है. मॉर्निंगस्टार की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में एफपीआई निवेश का मूल्य 651 अरब डॉलर था. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 की दिसंबर तिमाही में ऐसे निवेश का मूल्य 584 अरब डॉलर था.

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आईपीओ ने किया विदेशी निवेशकों को आकर्षित

रिपोर्ट के मुताबिक, इसका श्रेय घरेलू इक्विटी बाजारों के अच्छे प्रदर्शन के साथ-साथ एफपीआई के मजबूत शुद्ध प्रवाह को दिया जा सकता है. हालांकि भारतीय इक्विटी बाजार पूंजीकरण में एफपीआई का आनुपातिक अंशदान समीक्षाधीन तिमाही में मामूली रूप से गिरकर 16.83 प्रतिशत हो गया, जो सितंबर तिमाही में 16.95 प्रतिशत था. सितंबर तिमाही में 5.38 अरब डॉलर की निकासी करने के बाद अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में विदेशी निवेशक अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड का प्रतिफल कम होने से भारतीय इक्विटी बाजारों में 6.07 अरब डॉलर के शुद्ध खरीदार रहे. इसके अलावा, कई कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) आने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी विदेशी निवेशकों को भारतीय इक्विटी बाजार की तरफ लाने का काम किया.

चुनावी जीत से बना माहौल

मॉर्निंगस्टार की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि तीन प्रमुख राज्यों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद राजनीतिक स्थिरता के रुझान ने निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाया. अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन ने भी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ाई.” हालांकि यह गति कायम नहीं रह सकी और एफपीआई इस साल जनवरी में शुद्ध विक्रेता बन गए. मुनाफा कमाने की ललक से एफपीआई ने भारतीय इक्विटी बाजार से 3.10 अरब डॉलर निकाल लिए. इसके अलावा फरवरी में भी अब तक सतर्कता बनी हुई है.

(भाषा इनपुट के साथ)

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