FPT: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए जवाबी टैरिफ के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में आई उथल-पुथल का असर अब भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) पर भी दिखने लगा है. मार्च 20 से 27 के बीच भारतीय बाजार में खरीदार बने एफपीआई अब फिर से बिकवाल बन गए हैं.
NSDL के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल महीने में 11 तारीख तक एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में कुल ₹31,988 करोड़ की बिकवाली की है. इस नई बिकवाली के बाद साल 2025 में अब तक कुल एफपीआई निकासी ₹1,61,669 करोड़ तक पहुंच गई है.
वैश्विक तूफान के बीच भारत में विकास की उम्मीद कायम
जियोजित फाइनेंस के मुख्य निवेश रणनीतिज्ञ डॉ वीके विजय कुमार कहना है कि एफपीआई की रणनीति को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर तब तक नहीं उभरेगी, जब तक यह मौजूदा वैश्विक अस्थिरता शांत नहीं होती. लेकिन मीडियम टर्म में उम्मीद की जा रही है कि एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) एक बार फिर भारत की ओर रुख करेंगे. इसकी वजह है अमेरिका और चीन में संभावित मंदी, जो इस ट्रेड वॉर के चलते लगभग तय मानी जा रही है.
इसके उलट, भारत 2025-26 की वित्तीय वर्ष में वैश्विक विपरीत हालात के बावजूद करीब 6% की दर से विकास कर सकता है. साथ ही, इस वर्ष कंपनियों की आय में बेहतर ग्रोथ की भी संभावना जताई जा रही है. ये दोनों ही फैक्टर एफपीआई को दोबारा भारत की तरफ आकर्षित कर सकते हैं—लेकिन तब, जब बाजार में छाया यह धुंआ छंट जाएगा.
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