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‘क्या आप जानते हैं कि जहां चीन के पास 5,000 से ज्यादा जहाज है’ भारत के पास…अनिल अग्रवाल ने कह दी बड़ी बात

Vedanta Chairman Anil Agarwal: वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने भारत की शिपिंग इंडस्ट्री को फिर से जीवंत करने की जरूरत बताई है. उन्होंने चीन से तुलना करते हुए भारत की समुद्री क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया और सार्वजनिक-निजी साझेदारी से रणनीतिक रूप से आगे बढ़ने की अपील की

Vedanta Chairman Anil Agarwal: वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने हाल ही में भारत की जहाजरानी (शिपिंग) उद्योग को पुनर्जीवित करने की पुरजोर मांग की है. उन्होंने आगाह किया कि भारत समुद्री व्यापार के क्षेत्र में चीन से बहुत पीछे छूटता जा रहा है.

चीन के पास 5,000 से अधिक जहाज, भारत के पास सिर्फ 500

अनिल अग्रवाल ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए बताया, “क्या आप जानते हैं कि जहां चीन के पास 5,000 से ज्यादा वाणिज्यिक जहाज हैं, वहीं भारत के पास यह संख्या 500 से भी कम है?” यह तुलना भारत और चीन के बीच की समुद्री शक्ति के अंतर को दर्शाती है.

उन्होंने यह भी बताया कि आज अंतरराष्ट्रीय व्यापार पूरी तरह से चीनी जहाजों द्वारा नियंत्रित है. उनका कहना है कि “दुनिया के 98% वाणिज्यिक जहाज या तो चीन की कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे हैं या चीनी निर्माण से जुड़े हैं.”

अनिल अग्रवाल ने कहा कि भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा देश है और इसका एक समृद्ध समुद्री इतिहास रहा है. उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र मिलकर इस दिशा में कार्य करें. “हम सभी को एकजुट होकर काम करना चाहिए.” उन्होंने शिपिंग की भाषा में कहा – “हमारे रणनीतिक हितों के लिए सभी को डेक पर आना होगा.”

चीन की बढ़ती समुद्री ताकत

अग्रवाल द्वारा बताए गए आंकड़े ध्यान खींचने वाले हैं, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीन के पास जनवरी 2024 तक वैश्विक वाणिज्यिक फ्लीट का 19% हिस्सा है. लेकिन जहाज निर्माण के क्षेत्र में उसकी पकड़ मजबूत है:

  • 1999 में चीन की शिपबिल्डिंग में भागीदारी 5% से कम थी,
  • 2023 तक यह बढ़कर 50% से ज्यादा हो गई है.
  • दुनिया के 95% शिपिंग कंटेनर और 86% इंटरमोडल चेसिस भी चीन में ही बनते हैं.

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Abhishek Pandey
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