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लालू यादव के पास कितनी है संपत्ति, हर महीने कितना पाते हैं पेंशन?

Lalu Yadav Net Worth: लालू प्रसाद यादव की व्यक्तिगत घोषित संपत्ति लाखों में है, लेकिन परिवार सहित कुल संपत्ति सैकड़ों करोड़ में अनुमानित है. इसमें जब्त और विवादित संपत्तियां शामिल हैं. उनकी आमदनी का मुख्य जरिया पेंशन और कृषि आय शामिल हैं.

Lalu Yadav Net Worth: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव देश की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं. उन्होंने लंबे समय तक बिहार में शासन किया और केंद्र में रेल मंत्री भी रहे. उनकी संपत्ति, आय और पेंशन को लेकर अक्सर चर्चाएं होती रहती हैं. आइए जानते हैं उनके पास कितनी संपत्ति है, उनकी आमदनी के स्रोत क्या हैं और उन्हें पेंशन के तौर पर कितना पैसा मिलता है?

लालू प्रसाद यादव की कुल संपत्ति

लालू प्रसाद यादव की संपत्ति को लेकर अलग-अलग समय पर कई आंकड़े सामने आए हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में दाखिल हलफनामे के अनुसार, उनके पास करीब 3.2 करोड़ रुपये की संपत्ति थी. इसमें चल और अचल संपत्तियां शामिल हैं. हालांकि, लालू यादव और उनके परिवार पर चारा घोटाले सहित कई भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं, जिनकी वजह से उनकी संपत्ति पर कानूनी विवाद भी चल रहे हैं.

लालू यादव की पारिवारिक संपत्ति

लालू यादव के परिवार में उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और बेटी रोहिणी आचार्य जैसे सदस्य शामिल हैं. उनकी संपत्ति करोड़ों में आंकी जाती है. 2024 के चुनाव में रोहिणी आचार्य ने अपनी संपत्ति 16 करोड़ रुपये घोषित की थी. इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग ने 2023 में लालू परिवार की लगभग 6 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी, जो “लैंड-फॉर-जॉब्स” घोटाले से जुड़ी थी. जांच एजेंसियों का दावा है कि परिवार के पास 600 करोड़ रुपये से अधिक की आपराधिक आय हो सकती है, जिसमें बेनामी संपत्तियां भी शामिल हैं.

लालू यादव की अकूत संपत्ति का अनुमान

विभिन्न स्रोतों और जांचों के आधार पर लालू और उनके परिवार की संपत्ति सैकड़ों करोड़ रुपये में होने की संभावना है. हालांकि, सटीक आंकड़ा अस्पष्ट है, क्योंकि कई संपत्तियां कानूनी विवादों में उलझी हैं और कुछ बेनामी होने का आरोप है.

लालू यादव की आमदनी का जरिया

लालू प्रसाद यादव की आमदनी के कई स्रोत में शामिल हो सकते हैं.

  • राजनीतिक करियर: 1990-1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2004-2009 तक रेल मंत्री के रूप में उनकी आधिकारिक आमदनी सरकारी वेतन से थी. हालांकि, चारा घोटाले और अन्य मामलों में उन पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग कर अवैध आय अर्जित की.
  • पेंशन: पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद के तौर पर लालू यादव को पेंशन मिलती है.
  • कृषि और अन्य संपत्ति: उनके हलफनामों में कुछ कृषि भूमि और संपत्ति का जिक्र किया गया है, जिससे आय हो सकती है. हालांकि, यह सीमित बताई जाती है.
  • विवादित स्रोत: चारा घोटाला (950 करोड़ रुपये का घोटाला) और लैंड-फॉर-जॉब्स मामले में जांच एजेंसियों का दावा है कि उनकी आय का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार से आया, जिसमें रिश्वत, बेनामी संपत्ति और नौकरियों के बदले जमीन लेना शामिल है. यह आय आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं है.

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लालू यादव को मिलने वाली पेंशन

  • पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर: बिहार सरकार पूर्व मुख्यमंत्रियों को पेंशन प्रदान करती है. बिहार में यह राशि आम तौर पर 50,000 रुपये प्रति माह से लेकर 1 लाख रुपये प्रति माह तक हो सकती है, जो समय-समय पर संशोधित होती है. सटीक आंकड़ा सार्वजनिक रूप से हाल ही में अपडेट नहीं किया गया, लेकिन अनुमान है कि उन्हें लगभग 75,000-1,00,000 रुपये मासिक मिलते होंगे.
  • पूर्व सांसद के तौर पर: लोकसभा और राज्यसभा के पूर्व सदस्य के रूप में उन्हें केंद्र सरकार से भी पेंशन मिलती है. 2025 तक यह राशि न्यूनतम 25,000 रुपये प्रति माह है, जो उनके कार्यकाल की अवधि के आधार पर बढ़ सकती है. लालू कई बार सांसद रहे, इसलिए यह 35,000-50,000 रुपये मासिक तक हो सकती है.
  • कुल पेंशन: दोनों को मिलाकर उनकी मासिक पेंशन संभवतः 1.25 लाख से 1.5 लाख रुपये के बीच हो सकती है. हालांकि, चारा घोटाले में सजा के कारण उनकी सांसद पेंशन पर कुछ समय के लिए रोक लगी थी, लेकिन बाद में स्वास्थ्य आधार पर जमानत मिलने के बाद यह बहाल हो सकती है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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