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हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद LIC ने अदाणी ग्रुप की 4 कंपनियों में बढ़ाई हिस्सेदारी, पढ़ें रिपोर्ट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा को सूचित किया था कि अदाणी ग्रुप की कंपनियों में एलआईसी का कर्ज जोखिम 31 दिसंबर, 2022 के 6,347 करोड़ रुपये से 5 मार्च तक मामूली रूप से गिरकर 6,183 करोड़ रुपये हो गया. एलआईसी का 5 मार्च 2023 तक अदाणी पोर्ट्स और एसईजेड में 5,388.60 करोड़ रुपये का कर्ज जोखिम है.

नई दिल्ली : इस साल की शुरुआत में 24 जनवरी, 2023 को अमेरिका के शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद जहां म्यूचुअल फंडों ने अदाणी ग्रुप की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करने का फैसला किया, वहीं भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने मार्च में समाप्त हुई चौथी तिमाही में अदाणी ग्रुप की चार कंपनी अदानी ग्रीन एनर्जी, अदानी टोटल गैस, अदानी एंटरप्राइजेज और अदानी ट्रांसमिशन में अपनी हिस्सेदारी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई. हालांकि, एलआईसी ने अदाणी ग्रुप की दो दूसरी कंपनी अंबुजा सीमेंट्स और अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन में अपनी हिस्सेदारी कम की है. वहीं एसीसी में एलआईसी की शेयरधारिता समान रही, जो मार्च तिमाही के अंत में 1,20,33,771 शेयर या 6.41 फीसदी थी.

अदाणी ग्रुप की किन कंपनियों में बढ़ी एलआईसी की हिस्सेदारी

  • शेयर बाजारों के आंकड़ों के हवाले से अंग्रेजी के अखबार द मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर में समाप्त हुई तिमाही के दौरान अदाणी एंटरप्राइजेज में एलआईसी की हिस्सेदारी करीब 4.23 फीसदी थी, जो मार्च में समाप्त हुई चौथी तिमाही में बढ़कर करीब 4.26 फीसदी हो गई.

  • इसके अलावा, 31 मार्च, 2023 तक संस्थागत निवेशक के तौर अदाणी ग्रीन एनर्जी में एलआईसी के 2,14,70,716 शेयर या फिर 1.36 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो दिसंबर, 2022 में अदाणी कंपनी में उसके पास मौजूद 1.28 फीसदी की हिस्सेदारी से करीब 8 आधार अंक अधिक था.

  • इसके साथ ही, दिसंबर, 2022 में समाप्त हुई तिमाही में अदाणी टोटल में सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी की 5.96 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो मार्च की तिमाही के अंत तक यह करीब 6 आधार अंक बढ़कर 6.02 फीसदी तक पहुंच गई.

  • अदाणी ट्रांसमिशन में भी एलआईसी की हिस्सेदारी में करीब 3 आधार अंक की बढ़ोतरी दर्ज की गई. दिसंबर 2022 की तिमाही में अदाणी ट्रांसमिशन में एलआईसी की करीब 3.65 फीसदी की हिस्सेदारी थी, जो 31 मार्च, 2023 को समाप्त हुई चौथी तिमाही तक बढ़कर करीब 3.68 फीसदी हो गई.

  • हालांकि इस बीच, अदाणी ग्रुप की दो कंपनियों अंबुजा सीमेंट्स में एलआईसी की हिस्सेदारी 6.33 फीसदी से घटकर 6.3 फीसदी और अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन 9.14 फीसदी से घटकर 9.12 फीसदी हो गई.

अदाणी ग्रुप की कंपनियों में एलआईसी का कर्ज जोखिम में

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा को सूचित किया कि अदाणी ग्रुप की कंपनियों में एलआईसी का कर्ज जोखिम 31 दिसंबर, 2022 के 6,347 करोड़ रुपये से 5 मार्च तक मामूली रूप से गिरकर 6,183 करोड़ रुपये हो गया. एलआईसी का 5 मार्च 2023 तक अदाणी पोर्ट्स और एसईजेड में 5,388.60 करोड़ रुपये का कर्ज जोखिम है. अदाणी पावर (मुंद्रा) में 266 करोड़ रुपये का कर्ज जोखिम में था. इसी प्रकार, अदाणी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड फेज-I में 81.60 करोड़ रुपये, अदाणी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड फेज-III में 254.87 करोड़ रुपये, रायगढ़ एनर्जी जनरेशन लिमिटेड में 45 करोड़ रुपये और रायपुर एनर्जी लिमिटेड में 145.67 करोड़ रुपये का कर्ज जोखिम में है.

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट

बताते चलें कि अमेरिका की शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी, 2023 को अपनी एक रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर शेयरों में हेराफेरी और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. हालांकि, अदाणी ग्रुप की ओर से हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर आपत्ति जाहिर की गई थी और रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए उसे बेबुनियाद और झूठा बताया गया था. फिर भी रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई. यहां तक कि अदाणी ग्रुप ने अदाणी एंटरप्राइजेज के आने वाले आईपीओ को रद्द करना पड़ा.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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