Meesho IPO: भारतीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मीशो (Meesho) ने हाल ही में अपने आईपीओ (IPO) लॉन्च की घोषणा करके बाजार में हलचल मचा दी है. इस कदम से मीशो का मूल्यांकन करीब 10 बिलियन डॉलर (₹85,000 करोड़) तक पहुंच सकता है. कंपनी ने अपने आईपीओ के जरिए 1 बिलियन डॉलर (₹8,300 करोड़) जुटाने का लक्ष्य रखा है.
सूत्रों के अनुसार, मीशो के आईपीओ के लिए प्रमुख लीड मैनेजर के रूप में मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley), कोटक महिंद्रा कैपिटल (Kotak Mahindra Capital) और सिटी (Citi) को नियुक्त किया गया है. इसके अलावा, जेपी मॉर्गन (JP Morgan) भी जल्द ही इस टीम का हिस्सा बन सकते हैं. कंपनी जल्द ही सेबी (SEBI) के पास अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल कर सकती है. इस आईपीओ के सितंबर-अक्टूबर के दौरान, दिवाली के आसपास लॉन्च होने की उम्मीद है.
मीशो का सफर: शुरुआत से यूनिकॉर्न बनने तक
मीशो की शुरुआत 2015 में विदित आत्रे और संजिव बरनवाल ने अपने पहले स्टार्टअप ‘FashNear’ के असफल होने के बाद की थी. उन्होंने ऑफलाइन रिटेलर्स के लिए Meesho की नींव रखी.
- 2016 में मीशो को Y Combinator के समर प्रोग्राम में जगह मिली, जिससे कंपनी ने 1 करोड़ रुपये की शुरुआती फंडिंग हासिल की.
- 2017 में मीशो ने अपने प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं के लिए लॉजिस्टिक्स, पेमेंट सिस्टम और बिजनेस सेटअप के लिए अलग-अलग टूल्स लॉन्च किए.
- 2018 में कंपनी ने 28 करोड़ रुपये की फंडिंग प्राप्त की, जिससे इसके विस्तार को मजबूती मिली.
- 2019 में मीशो को फेसबुक से करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जिससे मीशो फेसबुक से निवेश पाने वाली भारत की पहली स्टार्टअप कंपनी बनी.
- 2020 में महामारी के दौरान मीशो ने ‘मीशो मंडी’ लॉन्च किया, जिससे लॉकडाउन में आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी संभव हुई.
- 2021 में मीशो ने 1 अरब डॉलर का मूल्यांकन प्राप्त कर यूनिकॉर्न कंपनी का दर्जा हासिल किया.
- 2022 में कंपनी ने 10 करोड़ मंथली ऑर्डर्स का आंकड़ा पार कर लिया, जो इसके मजबूत ग्राहक आधार और लोकप्रियता को दर्शाता है.
तेजी से बढ़ता व्यवसाय
मीशो के ऑर्डर वॉल्यूम में पिछले वर्ष में 35% की वृद्धि देखी गई और अब इसके पास 175 मिलियन वार्षिक ट्रांजैक्शन उपयोगकर्ता हैं. वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में मीशो का राजस्व ₹7,615 करोड़ रहा, जो वित्तीय वर्ष 2022 (FY22) में ₹3,240 करोड़ और FY23 में ₹5,735 करोड़ था. यह वृद्धि कंपनी की मजबूत वित्तीय स्थिति और अनुशासन को दर्शाती है.
मीशो के आईपीओ में देरी का मुख्य कारण कंपनी का अपने मुख्यालय को डेलावेयर (Delaware), अमेरिका से भारत में स्थानांतरित करना रहा. इस प्रक्रिया के तहत कंपनी ने अपने भारतीय यूनिट Fashnear Technologies और उसकी अमेरिकी पैरेंट कंपनी के बीच रिवर्स मर्जर के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में आवेदन किया है. इस प्रक्रिया के दौरान कंपनी पर लगभग 300 मिलियन डॉलर (₹2,580 करोड़) का टैक्स दायित्व लगेगा, जो नियामकीय (regulatory) अनुपालन के लिए आवश्यक है.
Also Read: किसानों की आमदनी बढ़ेगी या महंगा होगा प्याज? सरकार ने निर्यात शुल्क हटाने का फैसला लिया
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.