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महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि-ड्रोन प्रदान करेगी मोदी सरकार, जानें क्या है स्कीम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम उन्हें ड्रोन के चलाने और उसकी मरम्मत का प्रशिक्षण देंगे. कई स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किए जाएंगे. इन कृषि ड्रोनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है.

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि-ड्रोन प्रदान करेगी. इस बात की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि सरकार जल्द ही महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि-ड्रोन प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू करेगी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें ड्रोन उड़ाने और उसकी मरम्मत करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. योजना शुरुआत में 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों (डब्ल्यूएसएचजी) को ड्रोन प्रदान करने के साथ शुरू की जाएगी. देश में करीब 10 करोड़ महिलाएं एसएचजी से जुड़ी हैं.

15,000 डब्ल्यूएसएचजी को ट्रेनिंग देगी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम उन्हें ड्रोन के चलाने और उसकी मरम्मत का प्रशिक्षण देंगे. कई स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किए जाएंगे. इन कृषि ड्रोनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है. यह पहल 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा ड्रोन उड़ाने से शुरू होगी. उन्होंने कहा कि महिला नेतृत्व वाला विकास ही देश को आगे ले जाएगा.

भारत में सबसे अधिक महिला पायलट : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि नागरिक विमानन में भारत के पास सबसे अधिक महिला पायलट हैं. उन्होंने कहा कि महिला वैज्ञानिक चंद्रयान मिशन का नेतृत्व कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जी-20 ग्रुप ने महिलाओं के नेतृत्व में विकास के भारत के दृष्टिकोण को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि ‘पीएम किसान सम्मान निधि योजना’ (पीएम-किसान) के तहत किसानों के खातों में 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा की गई है. सरकार किसानों को तीन किस्तों में सालाना 6,000 रुपये प्रदान करती है. उन्होंने कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने उर्वरक के लिए 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी भी प्रदान की है.

क्या है कृषि-ड्रोन योजना

भारत के किसानों को तकनीकी खेती से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार की ओर से अभी हाल ही में किसान ड्रोन योजना 2023 की शुरुआत की गई है. सरकार की इस योजना के तहत किसानों को कृषि ड्रोन खरीदने के लिए प्रोत्साहित जाएगा और ड्रोन खरीदने वाले किसानों को सरकार की ओर से अनुदान राशि प्रदान की जाएगी. प्रधानमंत्री किसान ड्रोन योजना 2023 के तहत विभिन्न वर्गों एवं क्षेत्रों के किसानों को ड्रोन की खरीद पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है. इस योजना के माध्यम से एससी-एसटी, छोटे एवं सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को 50 फीसदी अथवा अधिकतम 5 लाख रुपये तक का अनुदान प्रदान किया जाता है. हालांकि, सरकार की मंशा भारत के प्रत्येक गांव के किसानों तक कृषि ड्रोन पहुंचाने की थी, लेकिन बाद में सरकार की ओर से किसानों के व्यक्तिगत ड्रोन खरीदने पर अनुदान प्रदान करने का फैसला किया गया.

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एसएचजी को मजबूत बना रही सरकार

भारत सरकार ने बजट 2019-20 में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को बढ़ावा देने तथा देश की विकास प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए स्वयं सहायता समूह को दिए जाने वाले ब्याज सब्सिडी कार्यक्रमों का सभी जिलों में विस्तार करने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही, जनधन बैंक खाते वाले स्वयं सहायता समूह की प्रत्येक महिला एसएचजी सदस्य को 5000 रुपये तक की ओवरड्राफ्रट की सुविधा भी दी जाएगी.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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